कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या दोगुना होने की रफ्तार में कमी आने के बीच ऐसे दावे उम्मीद जगाते हैं कि अगले माह से कोरोना का प्रकोप थमने लगेगा। वास्तव में ऐसा ही हो, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। दिल्ली, मुंबई के साथ देश के कुछ अन्य बड़े शहरों में कोरोना मरीजों की संख्या जिस तरह बढ़ रही है उसके चलते इस सवाल पर माथापच्ची शुरू हो गई है कि आखिर 3 मई के बाद क्या होगा? क्या लॉकडाउन खत्म होगा या फिर कुछ जगह जारी रहेगा और शेष देश में उसमें ढील दी जाएगी? सवाल यह भी उठ रहा है कि लॉकडाउन में ढील वाले इलाकों में किस तरह की गतिविधियां शुरू करने की अनुमति मिलेगी और उस दौरान क्या सावधानी बरतनी होगी? यह तय है कि आने वाले दिनों में इस तरह के सवाल और अधिक उभरेंगे, क्योंकि विस्तारित लॉकडाउन के खत्म होने का समय करीब आ रहा है। चूंकि सरकार के सामने लोगों की जिंदगी बचाने के साथ जीविका के साधनों को भी संबल देने की चुनौती है इसलिए उसे बीच का कोई रास्ता निकालने के लिए तैयार रहना चाहिए।

अब जब लॉकडाउन की अवधि खत्म होने में करीब एक सप्ताह ही शेष है तब फिर अन्य अनेक मसलों के साथ इस पर भी विचार करना होगा कि देश के विभिन्न हिस्सों में जो दिहाड़ी मजदूर और कामगार रुके हुए हैं उन्हें कहां जाने की सुविधा प्रदान की जाए? उन्हें अपने गांव-घर जाने की इजाजत दी जाए या फिर वहां भेजने का प्रबंध किया जाए जहां वे काम कर रहे थे? यह सही है कि तमाम कामगार अपने गांव-घर जाना चाहते हैं और यह उनकी भावनात्मक जरूरत भी है, लेकिन इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कारोबारी गतिविधियां उनके श्रम और सहयोग से ही शुरू हो सकती हैं।

बेहतर हो कि जो मजदूर अपने काम पर लौटना चाहते हैं उन्हें न केवल इसके लिए प्रेरित किया जाए, बल्कि उन्हें यह भरोसा भी दिलाया जाए कि उनकी हरसंभव देख-रेख होगी। इस बारे में केंद्र और राज्य मिलकर कोई फैसला करें तो बेहतर ताकि न तो किसी तरह के भ्रम की गुंजाइश रहे और न ही कोई नई समस्या सिर उठाए। कामगारों को उनके गांव-घर भेजने अथवा उनके कार्यस्थलों में वापसी के प्रबंध करने के मामले में केंद्र और राज्यों को साझा फैसला करते समय उनकी भावनाओं का भी ध्यान रखना होगा। नि:संदेह एक अन्य जरूरत यह भी है कि कोरोना संक्रमण से बचे रहने के लिए जरूरी दिशा-निर्देशों के पालन के प्रति और गंभीरता का परिचय दिया जाए। इन दिशा-निर्देशों के उल्लंघन की खबरें शुभ संकेत नहीं।