जम्मू-कश्मीर पर रूस के बयान के बाद यह और अच्छे से स्पष्ट हो गया कि इस मसले पर पाकिस्तान को कुछ हासिल होने वाला नहीं है। रूस ने जम्मू-कश्मीर संबंधी अनुच्छेद 370 हटाने के भारत के फैसले को भारत का आतंरिक मामला करार दिया है। कुछ ऐसी ही राय अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात व्यक्त कर चुका है। चीन ने अवश्य लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करके केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने पर असहमति जाहिर की है, लेकिन इसके आसार कम हैं कि वह जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के सुर में बोलेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि हांगकांग पर उसे भी विश्व समुदाय से नरम रवैये की दरकार है।

पाकिस्तान यह जो उम्मीद लगाए है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस मामले में कुछ करेगी उसके पूरे होने की संभावना नगण्य है। बीते सात दशकों में जम्मू-कश्मीर संबंधी सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के अनुरूप कुछ नहीं हो सका तो पाकिस्तान के कारण ही। जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह के लिए उसे सबसे पहले अपने कब्जे वाले इलाके से अपनी सेनाओं को हटाना था। उसने यह काम किया नहीं और फिर भी यह शोर मचाता रहा कि भारत आगे नहीं बढ़ रहा है। उसकी चीख-पुकार सुरक्षा परिषद की ओर से सुने जाने की गुंजाइश इसलिए भी नहीं, क्योंकि वह खुद कश्मीर के एक हिस्से गिलगित-बाल्टिस्तान की स्थिति में परिवर्तन कर चुका है। आखिर वह किस अधिकार से यह अपेक्षा कर रहा है कि सुरक्षा परिषद उसका रोना-धोना सुनने के लिए तैयार होगी?

पाकिस्तान को इसकी भी अनदेखी नहीं करनी चाहिए कि यह वही था जिसने शिमला समझौते को कभी महत्व नहीं दिया। सबसे खराब बात यह रही कि वह अपनी जनता को यह झूठा सपना दिखाता रहा कि कश्मीर उसका हिस्सा बनकर रहेगा। इस सपने को टूटना ही था, क्योंकि यह दिवास्वप्न था। पाकिस्तान के हित में यही है कि वह कश्मीर को भूलकर आगे बढ़े। उसने कश्मीर पर अपना बेजा अधिकार जताकर अपने को तबाही की ओर ले जाने का ही काम किया है।

आज अगर पाकिस्तान आतंकियों का गढ़ बन गया है तो कश्मीर को येन-केन-प्रकारेण हासिल करने की जिद के कारण ही। पता नहीं वह यह साधारण सी बात समझने को तैयार क्यों नहीं है कि कश्मीर का मतलब केवल घाटी ही नहीं है। जम्मू भी उसका हिस्सा है और कल तक लद्दाख भी था। इन क्षेत्रों की जनता कभी भी उस रुख-रवैये से सहमत नहीं हुई जो घाटी के कुछ लोग व्यक्त करते रहे। अगर पाकिस्तान यह समझ रहा है कि भारत से राजनयिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध तोड़कर अथवा दुनिया भर में शोर मचाकर भारत पर दबाव डालने में समर्थ हो जाएगा तो यह ख्याली पुलाव ही है।

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