लॉकडाउन के लंबे दौर के बीच कृषि कार्यों के साथ कुछ कारोबारी गतिविधियों का शुरू होना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि सब कुछ ठीक रहा तो आगे और रियायत मिल सकती है। शासन-प्रशासन के साथ आम लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जिन शर्तों के साथ चुनिंदा कामों के लिए छूट दी गई है उनका उल्लंघन न होने पाए। यह उल्लंघन कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ाएगा और उसके नतीजे में सरकारें छूट वापस लेने के लिए बाध्य होंगी। उनके पास इसके अलावा और कोई उपाय भी नहीं होगा, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कोई भी देश और खासकर भारत सरीखा विकासशील देश अधिक समय तक लॉकडाउन का सामना नहीं कर सकता। लॉकडाउन का हर दिन अपनी आर्थिक कीमत वसूल रहा है।

इसीलिए पहले जान है तो जहान है पर जोर दिया गया और फिर जान के साथ जहान पर भी। लोगों का जीवन बचाने के साथ उनके जीविका के साधनों की चिंता करनी ही होगी। बेहतर होगा कि हर कोई यह सुनिश्चित करे कि आज से जो भी छूट मिलने जा रही हैं उसका दुरुपयोग न होने पाए। वास्तव में एक-दूसरे से शारीरिक दूरी बनाए रखने को लेकर संयम और अनुशासन के साथ एक ऐसा माहौल बनाने की आवश्यकता है जिससे कोरोना के मरीजों वाले इलाकों को छोड़कर देश के अन्य सभी हिस्सों में कारोबारी जीवन करीब-करीब पहले की स्थिति में लौट सके।

नि:संदेह न तो यह संभव है और न ही किसी को इसकी उम्मीद करनी चाहिए कि चंद दिनों बाद सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा। फिलहाल यही लगता है कि देश-दुनिया को एक अर्से तक कोरोना के साये में ही जीना होगा। ऐसे में उचित यही है कि नई जीवन शैली और साथ ही नए कारोबारी तौर-तरीके अपनाने के लिए तैयार रहा जाए। प्रधानमंत्री ने अपने एक लेख के जरिये इसी ओर संकेत किया है। उन्होंने संभावित कार्य संस्कृति के कुछ बिंदुओं का उल्लेख करते हुए जिस नए बिजनेस मॉडल की जरूरत रेखांकित की है वह वक्त की मांग है।

वास्तव में दुनिया को न केवल काम-काज के नए तौर-तरीके अपनाने होंगे, बल्कि दक्षता और उत्पादकता को भी नए सिरे से परिभाषित करना होगा। इसके साथ ही उसे मानवीय मूल्यों के प्रति भी और संवेदनशील होना होगा, क्योंकि यह वह संकट है जिसे मिलकर ही दूर किया जा सकता है। हर संकट कुछ अवसर भी लेकर आता है। इस संकट में भी कुछ अवसर छिपे हैं। उनकी तलाश में सभी को जुटना चाहिए। हालांकि इस संकट ने लोगों को उनके घरों पर रहने के लिए मजबूर कर दिया है, लेकिन इसका मतलब हाथ पर हाथ रखकर बैठना नहीं होना चाहिए।