फ्रांस में बर्बर आतंकी हमलों की ओर से दुनिया का ध्यान हटा भी नहीं था कि आस्ट्रिया की राजधानी वियना में आतंकियों ने धावा बोलकर यूरोप के साथ-साथ पूरी दुनिया को थर्रा दिया। पेरिस और नीस के बाद वियना के आतंकी हमले यही बता रहे हैं कि जिहादी आतंकवाद का साया गहराता जा रहा है। इन यूरोपीय शहरों में हुए आतंकी हमलों के बीच कनाडा के क्यूबेक प्रांत और अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के आतंकवादी हमलों की भी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि ये सब हमले एक ही हिंसक विचारधारा की उपज हैं। वियना में आतंकियों ने जिस तरह एक साथ कई स्थानों पर लोगों को निशाना बनाया, उससे मुंबई में हुए भीषण आतंकी हमले की याद आ जाना स्वाभाविक है।

वियना को निशाना बनाने वाले खूंखार आतंकी संगठन आइएस से कुप्रेरित बताए जा रहे हैं। इसका मतलब है कि भले ही सीरिया और इराक में इस आतंकी संगठन की कमर टूट गई हो, लेकिन उसके सहयोगी और हमदर्द दुनिया भर में फैल गए हैं। बीते वर्षों में दुनिया में तमाम आतंकी हमले ऐसे ही आतंकियों की ओर से किए गए, जो या ता आइएस से सीधे तौर पर जुड़े थे या फिर उससे कुप्रेरित थे। वियना में पुलिस की गोली का निशाना बने एक आतंकी के बारे में यह माना जा रहा है कि वह सीरिया जाने की फिराक में था और इसी कारण खुफिया एजेंसियों की निगाह में था।

आस्ट्रिया में आतंकी हमला इसलिए हैरान करता है, क्योंकि यह उन देशों में है जिसने सीरिया, इराक आदि देशों के शरर्णािथयों को उदार भाव से अपनाया। सच तो यह है कि वहां इन देशों के शरर्णािथयों को अपनाने की मुहिम भी चली थी। स्पष्ट है कि आइएस और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों के लिए इस तरह की उदारता का कोई मूल्य नहीं। वे सारी दुनिया में खिलाफत कायम करने की सनक से ग्रस्त हैं। दुनिया को इस हिंसक सनक का सामना एकजुट होकर सख्ती के साथ करना होगा। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि विश्व भर में वियना में हुए आतंकी हमलों की निंदा हो रही है, क्योंकि तथ्य यह भी है कि अमेरिका अफगानिस्तान को तबाह करने में जुटे तालिबान से समझौते को अपनी कामयाबी मान रहा है तो पश्चिम में सेक्युलर और लिबरल तत्वों का एक वर्ग जिहादी आतंकवाद की गंभीरता को समझने के लिए तैयार नहीं।

यह शुभ संकेत नहीं कि दुनिया के अन्य देशों के साथ भारत में भी कुछ तत्वों ने फ्रांस के आतंकी हमलों को जायज ठहराया। यूरोप में आतंक की नई लहर के बीच ऐसे तत्वों से सावधान रहना होगा-न केवल सरकार को, बल्कि समाज को भी।