अंतत: झारखंड के छोटे शहरों से हवाई सेवा की शुरुआत होने जा रही है। सरकार का यह कदम विकास को पंख देने वाला है। इससे राज्य को कई तरह के फायदे होंगे। ढांचागत विकास को बल मिलेगा। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। राज्य को राजस्व मिलेगा। औद्योगिक विकास को नई गति व उड्डयन उद्योग को नई शक्ति मिलेगी। सच यह है कि अभी तक यदि अपेक्षा के अनुरूप बाहर के निवेशकों के कदम झारखंड में नहीं पड़ सके तो इसका बड़ा कारण छोटे शहरों से विमान सेवा का नहीं होना रहा है।

अनेक अवसरों पर अलग-अलग क्षेत्र के दिग्गज राज्य के चौतरफा विकास में हवाई सेवा की कमी को बड़ा रोड़ा बता चुके हैं। अब यह रोड़ा हटने जा रहा। खुशी की बात यह भी है कि अब असंख्य सामान्य आर्थिक पृष्ठभूमि के लोगों का हवाई जहाज से सफर का सपना पूरा हो सकेगा। दूसरे राज्यों के बड़े शहरों में रहनेवाले राज्य के युवाओं को आने-जाने में लंबा समय नहीं जाया करना पड़ेगा। आपात स्थिति में राज्य के मरीजों को कम समय में बेहतर इलाज के लिए महानगरों में ले जाना आसान हो जाएगा। यही कारण रहा है कि विभिन्न संगठनों व जन प्रतिनिधियों द्वारा हवाई सेवा के लिए समय-समय पर आवाज उठायी जाती रही है। अब जमशेदपुर के अलावा हजारीबाग, देवघर, धनबाद, बोकारो, डालटनगंज जैसे छोटे शहरों को भी शीघ्र ही हवाई सेवा से जोडऩे की पहल करनी होगी।

राज्य सरकार को विशेष सक्रियता दिखानी होगी। हवाई अड्डों के निर्माण या रखरखाव के साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि विमान किराया ऐसा हो जिसे आम आदमी भी सहजता से वहन कर सके। हवाई अड्डों को अच्छी सड़कों से जोडऩे व नागरिक परिवहन व्यवस्था को भी प्रभावी बनाना होगा। ऐसा होने पर सुदूर गांवों के लोग भी आसानी से हवाई सेवा का लाभ उठा सकेंगे। तभी इस सेवा का उद्देश्य पूरा हो सकेगा। ध्यान देनेवाली बात यह है कि राज्य की जनता अति गर्मजोशी से इसका स्वागत करने को उत्सुक है। इसकी बानगी जमशेदपुर में दिख रही है। सेवा शुरू होने से कई दिन पहले ही टिकट बुक कराए जा चुके हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि राज्य व केंद्र की सरकार जनता की इस चाह को अमलीजामा पहनाने की दिशा में अब किसी तरह की हीला-हवाली नहीं होने देंगी और यह सेवा नए -नए शहरों को जोड़ते हुए विस्तार की राह पर भी आगे बढ़ती रहेगी।

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हाइलाइटर :

हवाई अड्डों के निर्माण या रखरखाव के साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि विमान किराया ऐसा हो जिसे आम आदमी भी सहजता से वहन कर सके।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]