स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के मुख्य कार्यक्रम में छात्रों ने जिस तरह बढ-चढ़कर भाग लिया उससे यही पता चलता है कि रोजमर्रा के जीवन में आने वाली समस्याओं को सुलझाने के तौर-तरीके विकसित करने का अभियान गति पकड़ रहा है। यह वह कार्यक्रम है जो छात्रों को अलग तरीके से सोचने के लिए प्रेरित करने के साथ ही तमाम उत्पादों को नए तरह से विकसित करने की संस्कृति को बल देता है। यह कार्यक्रम सही दिशा में जा रहा है, इसकी पुष्टि वर्ष दर वर्ष भागीदारी करने वाले छात्रों की बढ़ती संख्या से होती है। इस वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के पहले चरण में साढ़े चार लाख से ज्यादा छात्रों का हिस्सा लेना यह बताता है कि छात्रों को एक मनपसंद मंच मिल गया है। इससे अच्छा और कुछ नहीं कि इस मंच के जरिये करीब ढाई सौ समस्याओं के समाधान के लिए हमारी युवा पीढ़ी प्रतिस्पर्धा कर रही है।

इस मंच को और विस्तार देने की जरूरत है ताकि जो भी छात्र डिजिटल तकनीक आधारित कुछ नया-अनोखा करना चाहे वह आसानी से कर सके। छात्रों की रचनात्मकता और विशेषज्ञता को बढ़ावा देने वाले इस कार्यक्रम को विस्तार देने के साथ ही ऐसी भी कोई व्यवस्था करनी चाहिए जिससे डिजिटल तकनीक के अलावा अन्य तरीके से भी कोई किसी समस्या का समाधान प्रस्तुत करना चाहे तो उसे अवसर मिल सके। छात्रों की रचनात्मकता केवल हैकाथॉन की ही मोहताज नहीं होनी चाहिए।

यह अच्छा हुआ कि दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन हैकाथॉन के मुख्य आयोजन को प्रधानमंत्री ने संबोधित किया। आखिर छात्रों के उत्साहव‌र्द्धन के लिए इससे बेहतर और क्या हो सकता है? इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने यह विश्वास व्यक्त किया कि नई शिक्षा नीति नौकरी खोजने वालों के बजाय नौकरियों का सृजन करने वालों को आगे लाने का काम करेगी। नि:संदेह नई शिक्षा नीति में ऐसे कुछ प्रावधान हैं जिससे इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए यह आवश्यक होगा कि यह नीति अपने मूल भाव के साथ जल्द से जल्द लागू हो।

इसमें राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उनकी ओर से अपनी हिस्से की जिम्मेदारी का निर्वाह करने पर ही वह उद्देश्य पूरा हो सकेगा जिसके तहत यह चाहा जा रहा है कि दुनिया को नई दिशा देने वाले वैज्ञानिक, तकनीशियन और उद्यमी भारत से निकलें। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि हमारे युवा दुनिया की नामी कंपनियों में उच्च पदों पर कार्यरत हैं। बात तब बनेगी जब वे ऐसी कंपनियों का निर्माण खुद करने में सक्षम होंगे। इसके लिए यह आवश्यक है कि हमारे युवाओं में रचनात्मकता का विकास हो और वे जो सीखना चाहते हैं वह आसानी से सीख सकें।