कांग्रेस के सत्ता में आने के लगभग साढ़े छह वर्षों बाद पश्चिम बंगाल में नया राजनीतिक समीकरण बनने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। एक समय ममता के सिपहसलार रहे मुकुल राय के तृणमूल से निकलने के बाद राज्य में नया राजनीतिक समीकरण बनने की संभावना बढ़ी है। यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि मुकुल अमित शाह समेत भाजपा के कुछ बड़े नेताओं के संपर्क में हैं। उनके भाजपा में शामिल होने की संभावना ज्यादा है। जाहिर है तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेता भी मुकुल के साथ जा सकते हैं। इसलिए तृणमूल कांग्रेस भाजपा के प्रति कुछ ज्यादा ही आक्रामक हो गई है। तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेताओं यहां तक कि मंत्रियों ने भी शनिवार को सड़क पर उतर कर भाजपा के विरुद्ध राज्यव्यापी प्रदर्शन किया और जगह-जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले फूंके।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के साथ पहाड़ में धक्का-मुक्की होने पर भाजपा समर्थकों के विरोध करने की एक छोटी सी घटना को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने सिर आसमान पर उठा लिया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पर हमला बोलने की जगह तृणमूल कांग्रेस नेता प्रधानमंत्री का पुतला फूंकने की हद तक चले गए। इसके पीछे मुकुल के भाजपा के साथ मिल कर तृणमूल को नुकसान पहुंचाने की संभावना काम कर रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चाहे जितनी कोशिश कर लें लेकिन अब वह राज्य में तृणमूल विरोधी नया राजनीतिक समीकरण बनने पर रोक नहीं लगा सकती।
मुकुल ने शनिवार को दिल्ली में अपने समर्थकों के साथ बैठक की जिसमें माकपा से निष्कासित सांसद ऋतब्रत बंद्योपाध्याय भी शामिल थे। दिल्ली में अपने निवास पर बैठक करने के बाद मुकुल ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व सांसद अधीर चौधरी से भी मुलाकात की। अधीर के साथ भी उनकी लगभग दो घंटे तक बैठक हुई। मुकुल ने कहा है कि वह अगले सप्ताह सांसद पद से इस्तीफा देंगे और उसके बाद अपने राजनीतिक रुख का खुलासा करेंगे।
मुकुल भाजपा में शामिल होंगे या अलग पार्टी बना कर राजग का साथ देंगे। दोनों स्थिति में वह तृणमूल कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाएंगे। तृणमूल के निलंबित सांसद कुणाल घोष उनके संपर्क में हैं। माकपा से निष्कासित सांसद ऋतब्रत का भी साथ उनको मिलेगा। निचले स्तर के तृणमूल के अधिकांश नेताओं को तो मुकुल ने ही तैयार किया है। इसलिए मुकुल के सांसद पद से इस्तीफा देने के बाद अगले सप्ताह बंगाल की राजनीति में नया आयाम जुड़ेगा।
हाईलाइटर::(मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चाहे जितनी कोशिश कर लें लेकिन अब वह राज्य में तृणमूल विरोधी नया राजनीतिक समीकरण बनने पर रोक नहीं लगा सकती।) 

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]