भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साझा बयान और फिर अपनी प्रेस कांफ्रेंस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के संबंधों और भारत से संबंधित मसलों पर जो कुछ कहा उससे यही रेखांकित हुआ कि वह भारत-अमेरिका के रिश्तों को एक नई ऊंचाई देने को तत्पर हैं। यही कारण रहा कि एक ओर जहां उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में भारत के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई वहीं दूसरी ओर उन मसलों पर कोई प्रतिकूल टिप्पणी भी नहीं की जिन्हें नाजुक मान लिया गया था। सच तो यह है कि यह मान्यता भी मीडिया के एक खास हिस्से की ओर से गढ़ी गई थी और उसी के द्वारा यह माहौल बनाया गया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति धार्मिक स्वतंत्रता, नागरिकता संशोधन कानून, कश्मीर आदि के मामले में भारत को सवालों से घेर सकते हैं। उन्होंने न केवल इस कृत्रिम माहौल को ध्वस्त किया, बल्कि साफ तौर पर कहा कि भारत में सभी को धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है।

उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून को उचित ही भारत का आंतरिक मामला करार दिया। इससे कुछ लोगों को निराशा हुई होगी, लेकिन सच तो यही है कि एक संप्रभु राष्ट्र होने के नाते भारत को भी अन्य देशों की तरह अपने नागरिकता कानून का निर्धारण करने का अधिकार है। इस कानून में संशोधन को लेकर देश के साथ विदेश में झूठ का एक पहाड़ अवश्य खड़ा किया गया है, लेकिन इससे यह सच्चाई बदलने वाली नहीं है कि यह कानून नागरिकता प्रदान करने का है, न कि छीनने का।

इस पर आश्चर्य नहीं कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली में हिंसा पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया। वास्तव में यही उचित भी था और अपेक्षित भी। जो यह उम्मीद लगाए थे कि कश्मीर में दिलचस्पी दिखाते रहे अमेरिकी राष्ट्रपति वहांं के हालात को लेकर कुछ नया कहेंगे उन्हें भी निराशा ही हाथ लगी होगी। नि:संदेह केवल उसे ही महत्व नहीं दिया जा सकता जो अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा। इसी के साथ इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि उन्होंने किन समझौतों को आकार दिया? इनमें सबसे महत्वपूर्ण है तीन अरब डॉलर का रक्षा समझौता।

यह सही है कि व्यापार को लेकर समझौता नहीं हो पाया, लेकिन खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह उम्मीद जताई कि जल्द ही बड़ा समझौता हो सकता है। दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई का वह संकल्प लिया जो पहले भी लिया जा चुका है, लेकिन यह उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान में भारतीय हितों का ध्यान रखने की बात कही। वास्तव में इन्हीं कारणों से ट्रंप की भारत यात्रा आपसी संबंधों को और मजबूती देने वाली कही जाएगी।