पंजाब में विधानसभा चुनाव बेहद करीब हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल एक के बाद एक घोषणा पत्र जारी कर रहे हैं। रविवार को भाजपा ने भी अपनी पार्टी का घोषणा पत्र प्रस्तुत किया। एक नजर में यदि इसकी बात की जाए तो इसमें गरीबों और किसानों पर खासतौर पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह उचित भी है, क्योंकि विगत समय में प्रदेश में सर्वाधिक चर्चा में यही दोनों वर्ग रहे हैं। खासकर किसानों के लिए अभी भी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है। यह अच्छी बात है कि पार्टी ने इन दोनों पर खास ध्यान देते हुए इनके लिए कई घोषणाएं की हैं। इनमें छोटे किसानों के कर्ज माफ करना, किसान आमदनी कमीशन का गठन, हर परिवार को रोजगार व हर गरीब को घर देने की घोषणाएं उल्लेखनीय हैं। हालांकि शिक्षा एक ऐसा विषय है, जिस पर अन्य दलों की भांति ही भाजपा ने भी बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया है। इस घोषणा पत्र में लड़कियों के लिए पीएचडी तक की मुफ्त शिक्षा देने की बात कही गई है, लेकिन इसके अतिरिक्त शिक्षा को लेकर कोई ऐसी बड़ी बात नहीं है, जिसका उल्लेख किया जा सके। कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के घोषणा पत्र में भी यही देखने को मिला था। दोनों दलों के घोषणा पत्र में भी गरीब व किसान पर तो ध्यान दिया गया था, लेकिन शिक्षा को बहुत संक्षिप्त में निपटा दिया गया। अभी शिरोमणि अकाली दल का घोषणा पत्र जारी होना है, लेकिन जिस प्रकार का वातावरण प्रदेश में है, उसमें नशा, गरीबी, किसान की चर्चा को देखते हुए इस बात की उम्मीद कम ही है कि इस दल के घोषणा पत्र में भी शिक्षा को लेकर कोई बड़ी योजना होगी। ऐसा तब है जबकि शिक्षा के क्षेत्र में पंजाब लगातार पिछड़ता जा रहा है। प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में बहुत सुधार की आवश्यकता है। खासकर सरकारी प्राथमिक शिक्षण संस्थानों की हालत बेहद दयनीय है। इसके बावजूद किसी दल की प्राथमिकता में शिक्षा का न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि, उम्मीद की जानी चाहिए कि अगली सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए ठोस कदम उठाएगी।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]