नाभा जेल ब्रेक कांड के मास्टरमाइंड गैंगस्टर के छात्र नेताओं से संबंध पंजाब के लिए खतरे की घंटी हैं। यह समझना होगा कि गैंगस्टर्स, नशा व हथियारों के सप्लायरों और कालेज-विश्विद्यालयों के कुछ छात्रों का यह गठजोड़ कितना गहरा है और किस हद तक पंजाब के लिए अशुभ साबित हो सकता है। पंजाब विश्वविद्यालय के जो दो छात्र नेता गैंगस्टर को जेल के भीतर नशा व हथियार पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किए गए हैं उनके कई नेताओं से भी संबंध उजागर हैं। जाहिर है कि सियासी पहुंच व रसूख की आड़ में कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ हो रहा है । इससे राज्य की शांति भंग हो रही है। नाभा जेल ब्रेक कांड के तार तो अब विदेशों तक से जुड़े होने का खुलासा हो गया है। यह बेहद गंभीर मामला है। पिछले कुछ समय से राज्य के भीतर गैंगस्टर्स की हरकतें बढ़ती जा रही हैं। दिन-दहाड़े कत्ल हो रहे हैं जिनके पीछे गैंगस्टर्स का हाथ होने की आशंकाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है कि राज्य में दो सौ से ज्यादा गैंग सक्रिय हैं। हैरानी की बात यह है कि जेल में बंद होने के बाद भी गैंगस्टर्स की गतिविधियां जारी हैं। जाहिर है कि उनका एक संगठित व मजबूत नेटवर्क है जो इस सब को अंजाम दे रहा है। जेल के भीतर से गैंगस्टर्स के फेसबुक स्टेट्स अपडेट हो जाते हैं, वे एक-दूसरे को धमकियां देते हैं, पुलिस को ललकारते हैं। पंजाब की जेलों में मोबाइल फोन व नशे की बरामदगी आम हो गई है। सवाल यह उठता है कि जब यह सब भीतर पहुंच कैसे जाता है? अगर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद हो तो ऐसा कैसे संभव है? व्यवस्था में ही छेद होने की वजह से यह सब कुछ हो रहा है। यह पुलिस की कारगुजारी पर एक बड़ा धब्बा है। नशे व हथियारों की सप्लाई में छात्रों का शामिल होना यह बताता है कि पंजाब के कुछ युवा भटक रहे हैं, गलत राह अपना रहे हैं। यह विडंबना है कि एक ओर जहां कई युवा राज्य का नाम खेल से लेकर अन्य क्षेत्रों में पूरी दुनिया में रोशन कर रहे हैं वहीं कुछ नशे व अपराध की अंधी गली में पहुंच गए हैं। उन्हें रोकना होगा। इसके लिए सरकार को सार्थक प्रयास करने होंगे। कठोर कदम उठाने होंगे। सियासी संरक्षण के चलते फल-फूल रहे गैंगस्टर्स, नशे-हथियारों के तस्करों के सप्लायरों के गठजोड़ को तोड़ना उसके लिए चुनौती है..लेकिन पंजाब की शांति के लिए यह बेहद जरूरी है।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]