इस नए वर्ष भी कुछ पुरानी चुनौतियां पहले की तरह बरकरार रहने वाली हैं, इसका प्रमाण है पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की कोशिश। वर्ष के पहले ही दिन पाकिस्तान बार्डर एक्शन टीम का एक आतंकी कश्मीर में घुसपैठ की कोशिश में मारा गया। उसके पास से एके-47 समेत विस्फोटक भी बरामद हुए। पाकिस्तान की नागरिकता पहचान पत्र से लैस यह आतंकी सेना की वर्दी में भी था। साफ है कि पाकिस्तानी सेना ने उसे भेजा था।

घुसपैठ की इस कोशिश के चंद घंटे पहले ही नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच मिठाइयों का आदान-प्रदान हुआ था। पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों की शुभकामनाओं का जवाब भी दिया था, लेकिन उनसे पहले की ही तरह सावधान रहने और सीमा पर चौकसी बढ़ाने की जरूरत है।

यह जरूरत इसलिए और बढ़ गई है, क्योंकि इसके कहीं कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं कि पाकिस्तान भारत में आतंकवाद फैलाने और अपने यहां प्रशिक्षित आतंकियों की घुसपैठ कराने से बाज आने वाला है। घुसपैठ की ताजा कोशिश तो यही बता रही है कि बर्फबारी के बावजूद सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश होती रहेगी। इस कोशिश को हर हाल में नाकाम करना होगा, क्योंकि पाकिस्तान इससे बेचैन नजर आ रहा है कि कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है।

एक ऐसे समय जब जम्मू-कश्मीर पुलिस और वहां तैनात सुरक्षा बल आतंकियों के सफाये में जुटे हुए हैं और इसके चलते घाटी में उनकी संख्या 200 से भी कम रह गई है तब फिर इसके लिए हरसंभव उपाय करने होंगे कि सीमा पार से आतंकियों की नई खेप न आने पाए। यह भी उल्लेखनीय है कि कश्मीर के युवा आतंकी बनने के लिए सीमा पार जाने से मुंह मोड़ रहे हैं।

यह एक शुभ संकेत है, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि उन्हें उकसाने और बरगलाने का काम अभी भी जारी है। इस काम में पाकिस्तान भी लिप्त है। इसे देखते हुए पाकिस्तान और खासकर उसकी सेना को यह संदेश देना ही होगा कि आतंकियों की घुसपैठ की कोई भी कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी, क्योंकि अब यह खतरा उभर आया है कि पाकिस्तानी सेना आतंकियों की घुसपैठ कराने के लिए संघर्ष विराम समझौते का भी उल्लंघन कर सकती है।

इसलिए कहीं अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। इसी के साथ इस पर भी ध्यान देना होगा कि वे ताकतें नए सिरे से सिर न उठाने पाएं जो कश्मीर में माहौल खराब करने में जुटी हुई हैं। इन ताकतों के साथ उन नेताओं पर भी निगाह रखनी होगी जो रह-रहकर पाकिस्तान की भाषा बोलने लगते हैं। नि:संदेह ऐसे तत्वों के दुस्साहस का दमन हुआ है, लेकिन यह ध्यान रहे कि वे पूरी तौर पर निष्कि्रय नहीं हुए हैं।