पंजाब में जिस तरीके से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को विदेश में बैठे गर्मख्यालियों से और राज्य के  हिंदू नेताओं को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ से धमकियां मिल रही हैं इन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए। राज्य की सुरक्षा एजेंसियों को इन धमकियों को गंभीरता से लेते हुए पूरी सतर्कता के साथ काम करने की जरूरत है। केंद्रीय खुफिया एजेंसी ने पंजाब सरकार को बकायदा एक पत्र लिखकर पंजाब के हिंदू नेताओं, उनके कार्यालयों यहां तक कि  हिंदू संगठनों द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों पर भी आइएसआइ द्वारा हमले करवाए जाने की आशंका जाहिर की है।

खुफिया एजेंसी का मानना है कि आइएसआइ  हिंदू नेताओं व इनसे जुड़े संस्थानों पर आतंकी संगठनों से हमले करवाकर राज्य का माहौल खराब करना चाहती है। इससे पूर्व भी आइएसआइ हिंदू संगठनों के नेताओं पर हमले करवाकर माहौल खराब करने की कोशिश कर चुकी है। पंजाब में चाहे लुधियाना के संघ शिक्षक रविंदर गोसाईं की हत्या का मामला हो या फिर जालंधर में गोली का शिकार हुए संघ नेता ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा का, पुलिस की जांच में सामने आया था कि यह सब हत्याएं आइएसआइ ने अशांति फैलाने के लिए करवाई थीं। इसी के बाद इन मामलों को सरकार ने केंद्रीय जांच एजेंसी एनआइए को सौंपा था। 

 हिंदू नेताओं की हत्याओं के मामलों में पकड़े गए लोगों ने पूछताछ में कबूला है कि उन्हें विदेश से पैसा मिलता था। इसमें आइएसआइ के साथ-साथ गर्मख्यालियों की भूमिका भी है। दरअसल आइएसआइ गर्मख्यालियों को और गर्मख्याली राज्य के गैंगस्टर्स को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। अब जब उनके सरगना पंजाब में पकड़े जा रहे हैं तो इन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री को भी धमकियां देनी शुरू कर दी हैं। केंद्र सरकार को भी इन धमकियों को गंभीरता से लेना चाहिए और विदेश में बैठे गर्मख्यालियों की धरपकड़ के लिए वहां की सरकार से बात करनी चाहिए। बहरहाल जिस तरीके से धमकियां मिल रही हैं ऐसे हालात में राज्य की पुलिस व खुफिया एजेंसियों को पूरी तरह अलर्ट रहने की जरूरत है ।

[स्थानीय संपादकीय: पंजाब]