पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यह सही प्रश्न पूछा कि आखिर खालिस्तान समर्थक और वारिस पंजाब दे संगठन का सरगना अमृतपाल सिंह पुलिस को चकमा देकर भाग कैसे गया? हाई कोर्ट ने इस पर भी अपनी नाखुशी प्रकट की कि जब अमृतपाल देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन गया था तो फिर समय रहते उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई? भले ही पंजाब पुलिस कह रही है कि वह जल्द ही भगोड़े अमृतपाल को पकड़ लेगी, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि तीन दिन बीत गए हैं और वह खाली हाथ है।

पुलिस को न केवल अमृतपाल तक पहुंचना होगा, बल्कि उसके समर्थकों तक भी। संभव है कि वह पुलिस से बचने में इसीलिए समर्थ हो, क्योंकि उसे छिपाने वाले सक्रिय हो गए हैं। पंजाब में ऐसे तत्वों की संख्या इसीलिए बढ़ी है, क्योंकि अमृतपाल के खिलाफ समय पर कार्रवाई नहीं की गई। वह पिछले करीब छह माह से कानून एवं व्यवस्था को चुनौती देने के साथ युवाओं को उकसाने और वैमनस्य पैदा करने में लगा हुआ था।

समझना कठिन है कि उसे यह सब करने की छूट कैसे मिली हुई थी और वह भी तब, जब वह हथियार और हिंसा की बात कर रहा था? उसने हथियारबंद लोग भी एकत्रित कर लिए थे और उन्हीं के बल पर वह एक थाने में धावा बोलने में समर्थ रहा। कायदे से इस घटना के बाद ही उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए थी, लेकिन पता नहीं क्यों इसमें देरी की गई? इस देरी के दुष्परिणाम से बचना है तो अमृतपाल की गिरफ्तारी जल्द करनी होगी। इसके साथ ही उसके समर्थकों पर भी निगाह रखनी होगी और उन तत्वों पर भी, जो माहौल बिगाड़ने में लगे हुए हैं। ऐसे ही तत्वों के कारण पंजाब के कई स्थानों पर इंटरनेट सेवाओं को बाधित करना पड़ा है।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की मानें तो विदेशी ताकतों के साथ मिलकर माहौल खराब करने वालों को पकड़ लिया गया है, लेकिन अभी उनकी चुनौती खत्म नहीं हुई है। पहली चुनौती तो फरार अमृतपाल को पकड़ना है और दूसरी, अन्य अतिवादी एवं अलगाववादी तत्वों पर लगाम लगाना। यह इसलिए आसान नहीं, क्योंकि पंजाब में कई राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक समूह ऐसे हैं, जो दबे-छिपे स्वर में अमृतपाल जैसे तत्वों के पक्ष में बयानबाजी करते रहते हैं।

इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि ऐसे तत्व अमृतपाल की निंदा करने के लिए तैयार नहीं। चूंकि पंजाब से अधिक खालिस्तान समर्थक देश से बाहर और विशेष रूप से कनाडा, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका आदि देशों में नजर आ रहे हैं, इसलिए पंजाब सरकार के साथ भारत सरकार को भी सतर्क रहना होगा। ये खालिस्तान समर्थक इंटरनेट मीडिया के माध्यम से दुष्प्रचार में जुट गए हैं। उनका दुस्साहस इतना अधिक बढ़ा हुआ है कि वे भारतीय राजनयिक केंद्रों को भी निशाना बना रहे हैं।