बचाव के हर संभव उपाय ही प्राकृतिक आपदाओं से निपटने का बेहतर जरिया हैं, यह एक बार फिर साबित हो रहा है ओडिशा में, जो खतरनाक तीव्रता वाले तूफान फणि से दो-चार हुआ। हालांकि इस प्रचंड तूफान का असर ओडिशा के साथ-साथ आंध्र, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल समेत पूर्वोत्तर के भी कुछ इलाकों में देखने को मिल रहा है, लेकिन यह स्पष्ट ही है कि सबसे अधिक प्रभावित ओडिशा ही है। यह तूफान कितना प्रचंड था, इसका अनुमान एक तो इससे लगता है कि ओडिशा में इसकी तीव्रता करीब दो सौ किलोमीटर प्रति घंटे की आंकी गई और दूसरे इससे कि देश के अन्य अनेक इलाकों में भी मौसम ने करवट ली।

यह संतोषजनक है कि ओडिशा में पुरी शहर के तट से टकराने वाले इस तूफान के प्रचंड वेग से निपटने के लिए वे सभी उपाय किए गए जो आवश्यक थे। दस लाख से अधिक लोगों को केवल उनके घरों से निकाला ही नहीं गया, बल्कि उन्हें रहने के लिए सुरक्षित ठिकाने भी उपलब्ध कराए गए। फणि तूफान का मुकाबला करने के लिए राहत और बचाव के जो व्यापक प्रबंध किए गए उसके चलते ही कहीं अधिक कम जनहानि हुई।

यह इसलिए उल्लेखनीय है कि दो दशक पहले 1999 में ओडिशा जब फणि से कहीं कम तीव्रता वाले तूफान से दो-चार हुआ था तब करीब दस हजार लोगों की मौत हुई थी। यह अच्छा हुआ कि उस तूफान के चलते हुए विनाश और फिर 2004 में सुनामी के कहर से सबक लेकर संस्थागत स्तर पर जरूरी उपाय किए गए। इन उपायों का लाभ आज पूरे देश को ही नहीं, पड़ोसी देशों को भी मिल रहा है। इन उपायों के तहत एक ओर जहां मौसम संबंधी सटीक सूचनाएं देने वाले तंत्र को दुरुस्त किया गया वहीं दूसरी ओर किसी भी तरह की आपदा से ग्रस्त लोगों के बचाव के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल यानी एनडीआरएफ का गठन किया गया। इसी तर्ज पर राज्यों ने भी अपने आपदा प्रबंधन बल गठित किए। ऐसा करना समय की मांग थी।

आज एनडीआरएफ हर तरह की आपदा की स्थिति में भरोसे का बल ही नहीं, देश की एक ताकत भी है। बीते कुछ वर्षों में इस बल ने तूफान, बाढ़ के साथ-साथ बड़ी दुर्घटनाओं में राहत और बचाव के जो कार्य किए हैं उससे एक मिसाल कायम हुई है। इस बल ने अब तक साढ़े चार लाख से अधिक लोगों को बचाने का ही काम नहीं किया है, बल्कि राहत और बचाव संबंधी तंत्र को भी सुदृढ़ किया है।

जो लोग यह रोना रोते रहते हैं कि देश तरक्की नहीं कर रहा और कहीं भी हालात ठीक नहीं उन्हें एनडीआरएफ सरीखी संस्थाओं के काम-काज को देखना चाहिए। नि:संदेह इसका आकलन करने में समय लगेगा कि प्रचंड रूप धारण करने वाले फणि तूफान ने कहां कितना नुकसान पहुंचाया, लेकिन यह जानना सुखद है कि लाखों लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई। चूंकि ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव के चलते मौसम में अप्रत्याशित तब्दीली रह-रह कर होते रहने के आसार हैं इसलिए देश के ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय एवं अन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। 

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