दिल्ली सरकार को उत्तरी और पूर्वी नगर निगमों को चौथे वित्त आयोग के प्रावधानों के अनुसार धनराशि जारी करने संबंधी हाई कोर्ट का आदेश स्वागतयोग्य है। पैसे की कमी से जूझ रहे निगमों के लिए हाई कोर्ट का यह आदेश निश्चित तौर पर राहत देने वाला है। इस आदेश के बाद न सिर्फ बदहाल आर्थिक स्थिति से जूझ रहे इन दोनों निगमों के 45 हजार से अधिक कर्मचारियों को वेतन मिल सकेगा, बल्कि इन निगमों के रुके हुए विकास कार्य भी शुरू किए जा सकेंगे। इस आदेश के साथ ही अदालत की यह टिप्पणी भी महत्वपूर्ण है कि दिल्ली सरकार ने चौथे और पांचवें वित्त आयोग के प्रावधानों पर अमल करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया। इसके साथ ही अदालत ने सरकार को इन दोनों वित्त आयोगों के अनुसार, तीनों नगर निगमों को दी जाने वाली बकाया धनराशि की जानकारी देने के लिए भी निर्देशित किया है।

दिल्ली के तीनों निगम राजधानी में कई प्रकार के विकास कार्यो के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि निगमों को आर्थिक रूप से मजबूत किया जाए। यदि अदालत यह टिप्पणी करती है कि दिल्ली सरकार ने चौथे और पांचवें वित्त आयोग के अनुसार निगमों को धनराशि देने के लिए कोई पहल नहीं की, तो यह यकीनन दुर्भाग्यपूर्ण है। बदहाल आर्थिक स्थिति के कारण उत्तरी और पूर्वी दिल्ली नगर निगमों को अपने कर्मचारियों को वेतन देने में भी समस्या होती है। इसकी वजह से कर्मचारियों की हड़ताल के मामले भी अक्सर सामने आते रहते हैं। ऐसे में यह दिल्ली सरकार का दायित्व है कि वह नगर निगमों को नियमानुसार धनराशि प्रदान करे, ताकि उन्हें समस्याओं से न जूझना पड़े।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]