इंडिया गेट के नजदीक तेज रफ्तार कार की टक्कर से ऑटो चालक की मौत दुखद है। कार चालक नाबालिग था। दिल्ली में हवा होते यातायात नियमों की स्थिति सामने लाने को यह उदाहरण काफी है। यह पहला मामला नहीं है जब नाबालिग चालक की वजह से किसी की जान गई हो। केंद्र सरकार द्वारा पिछले वर्ष पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल सड़क दुर्घटनाओं में से चार फीसद हादसों में नाबालिग चालक शामिल थे। दिल्ली की सड़कों पर कम उम्र के लड़के व लड़कियां दोपहिया व चारपहिया वाहन दौड़ाते दिख जाते हैं। कुछ अपने अभिभावकों को बताए बिना वाहन लेकर सड़क पर निकल जाते हैं तो कई माता-पिता ही अपने बच्चों को वाहन की चाबी सौंप देते हैं। वह यह नहीं सोचते हैं कि उनकी यह गलती उनके बच्चों और दूसरे की जान पर भारी पड़ सकती है।

अभिभावकों को यह सोचना चाहिए कि 18 साल की आयु पूरी होने के बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस इसलिए बनाया जाता है क्योंकि व्यक्ति शरीर के साथ मानसिक रूप से भी परिपक्व हो जाता है। अमूमन नाबालिग गैरजिम्मेदाराना ढंग से और तेज रफ्तार में वाहन चलाते हैं, जिससे दुर्घटना होने की आशंका रहती है। इसलिए किसी भी सूरत में नाबालिगों को वाहन चलाने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। यातायात पुलिस को भी सख्ती बरतनी चाहिए। नाबालिग वाहन चालकों के खिलाफ विशेष अभियान चलाने की जरूरत है। गैरजिम्मेदार अभिभावकों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाए। इसी तरह से स्कूलों में भी विद्यार्थियों को जागरूक करने की जरूरत है। जिम्मेदार नागरिक की तरह हम सभी को सड़कें सुरक्षित बनाने में अपना योगदान देना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]