कार्यप्रणाली पर सवाल
मुख्यमंत्री से मिलने सचिवालय पहुंची महिला की तबीयत बिगड़ने पर पीसीआर या कैट्स एंबुलेंस के आने में हुई देरी व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाती है
दिल्ली में मुख्यमंत्री से अपनी बेटी की शादी के लिए वित्तीय मदद की फरियाद करने सचिवालय पहुंची महिला की तबीयत बिगड़ने पर पुलिस की पीसीआर या कैट्स एंबुलेंस के आने में हुई देरी निराशाजनक है और व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाती है। मामले की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 100 नंबर पर स्वयं सचिवालय के बाहर खड़े पुलिसकर्मियों ने कॉल की और वीवीआइपी क्षेत्र से कॉल आने के बावजूद पीसीआर को पहुंचने में आधे घंटे लग गए। यही नहीं, कैट्स एंबुलेंस को आने में एक घंटे का समय लग गया। एंबुलेंस जब आई तो उससे करीब आधे घंटे पूर्व पीसीआर महिला को अस्पताल ले जा चुकी थी।
शुक्रवार की यह घटना दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग दोनों को कठघरे में खड़ा करती है। यदि एंबुलेंस को घटनास्थल पर पहुंचने में इतना समय लगेगा तो इसमें संदेह नहीं कि कई बार गंभीर मरीज की जान बचाना भी मुश्किल ही साबित होगा। यह घटना दर्शाती है कि कैट्स एंबुलेंस के प्रबंधन में कहीं कुछ गड़बड़ अवश्य है, अन्यथा सचिवालय से कॉल आने पर उसे एक घंटे का समय नहीं लगना चाहिए था। दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग को कैट्स एंबुलेंस की कार्यप्रणाली की समीक्षा करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह न्यूनतम समय में घटनास्थल पर पहुंचे। इसी तरह दिल्ली पुलिस को भी पीसीआर का घटनास्थल तक पहुंचने का समय घटाने की दिशा में काम करना चाहिए। राष्ट्रीय राजधानी में इन दोनों आकस्मिक सेवाओं की व्यवस्था पुख्ता होनी चाहिए।
[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]