दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा सूबे में सीसीटीवी कैमरे के उचित इस्तेमाल के लिए एक मानक प्रोटोकॉल विकसित करने संबंधी निर्देश दिया जाना स्वागतयोग्य है। एलजी ने दिल्ली में लगे सीसीटीवी कैमरों की वर्तमान स्थिति व भविष्य की योजनाओं पर बात करने के साथ ही इन कैमरों के संचालन व रखरखाव पर जोर दिया जो सर्वथा उचित है। यदि रखरखाव ठीक नहीं होगा, तो कैमरे लगाने का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाएगा और इनपर खर्च की गई राशि बेकार जाएगी। तमाम वादों व दावों के बावजूद यह अब भी कटु सत्य है कि दिल्ली महिलाओं के लिए असुरक्षित है। वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म कांड के छह साल बाद यह स्थिति अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और इसके लिए दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और अन्य संबंधित सरकारी एजेंसियां कठघरे में हैं। साथ ही यह प्रश्न भी उठता है कि आखिर कब ऐसा होगा कि दिल्ली में महिलाएं घरों के बाहर भी खुद को सुरक्षित महसूस कर सकेंगी।

दिल्ली में कई स्थानों पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरे कुछ राहत अवश्य प्रदान करते हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम हैं। ऐसे में दिल्ली पुलिस के साथ ही दिल्ली सरकार और अन्य सरकारी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे यथाशीघ्र लगवाएं। साथ ही उनकी फुटेज की मॉनिटरिंग और उसे दिल्ली पुलिस के साथ साझा करने के लिए एलजी के निर्देशानुसार एक मानक प्रोटोकॉल विकसित करने में सहयोग करें। महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े इस अतिसंवेदनशील मसले पर दिल्ली सरकार और अन्य सरकारी एजेंसियों को आगे आकर आपसी सामंजस्य के साथ बेहतर नेटवर्क विकसित करना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]