दिल्ली में 139 करोड़ का लेबर फंड घोटाला निराशाजनक है। अभी आरोपों की पड़ताल होनी और उनकी सत्यता परखी जानी शेष है, लेकिन यदि आरोप सही हैं तो अत्यंत गंभीर मामला है। यह मामला इसलिए भी दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि यह गरीब निर्माण मजदूरों से जुड़ा मामला है और आरोपों के अनुसार, दिल्ली सरकार के अधीन दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड ने उनका हक मारने का काम किया है। दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा में दर्ज एफआइआर में यह आरोप लगाए गए हैं कि दिल्ली की आप सरकार ने फर्जीवाड़ा कर कार्यकर्ताओं को मजदूरों के रूप में नामांकित किया और फिर इन्हीं फर्जी मजदूरों के आधार पर लेबर बोर्ड बनाया और कार्यकर्ताओं को मजदूर दर्शाकर असली मजदूरों का हक छीन लिया।

आप सरकार में भ्रष्टाचार के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। ये मामले खुद को भ्रष्टाचार का विरोधी दिखाकर सत्ता में आई इस सरकार को कठघरे में खड़ा करते हैं। यह शर्मनाक है कि सरकार पर पार्टी कार्यकताओं को लाभ पहुंचाने के आरोप लगे हैं। इससे सरकार और पार्टी की छवि धूमिल हो रही है। यदि ये आरोप सही हैं तो दिल्ली सरकार को संबंधित मंत्री या नेता के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए। आप सरकार को जनता के सामने यह साबित करना चाहिए कि वह वाकई भ्रष्टाचार विरोधी है और आम आदमी के साथ खड़ी है। साथ ही आम आदमी पार्टी को भी भ्रष्टाचार में लिप्त चेहरों से मुक्ति पाने की कोशिश करनी चाहिए। दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को भी इस मामले की गंभीरता से जांच करनी चाहिए और सच्चाई सामने लाना चाहिए। यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए। 

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]