पूर्वी दिल्ली के घोंडा गुजरान और सोनिया विहार में यमुना खादर में प्रस्तावित लैंडफिल साइट का विभिन्न राजनीतिक दलों और स्थानीय लोगों द्वारा किया जा रहा विरोध सर्वथा उचित है। यह विरोध तब और भी सशक्त हो जाता है, जब यह सामने आता है कि स्वयं नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) भी पूर्वी दिल्ली नगर निगम के इस प्रस्ताव को पहले दो बार खारिज कर चुका है। स्थानीय लोग इस प्रस्ताव का धरना-प्रदर्शन के जरिये विरोध कर रहे हैं, वहीं विधायक कपिल मिश्र ने उपराज्यपाल से मुलाकात कर उनसे इस प्रस्ताव को रद करने की मांग की है। कई पर्यावरणविद् का कहना है कि खादर में लैंडफिल साइट बनाए जाने से कूड़े से प्रदूषक तत्व भूजल में मिल जाएंगे और उसे जहरीला बना देंगे। प्रस्तावित क्षेत्र वजीराबाद जलाशय से जुड़ा है, जहां से दिल्ली की बड़ी आबादी को पेयजल की आपूर्ति होती है। ऐसे में भूजल जहरीला होने के कारण पेयजल की बड़ी समस्या पैदा हो जाएगी।

यह पूर्वी दिल्ली नगर निगम का दायित्व है कि वह लैंडफिल साइट के लिए उपयुक्त स्थान की तलाश करे। इसके लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण के साथ मिलकर नए स्थान की तलाश की जानी चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना इस समस्या का हल किया जा सके। आवश्यकता पड़ने पर पूर्वी दिल्ली नगर निगम को उत्तरी या दक्षिणी दिल्ली नगर निगम से भी सलाह लेनी चाहिए ताकि बेहतर विकल्प चुना जा सके। दिल्ली सरकार को भी पूर्वी दिल्ली निगम की मदद को आगे आना चाहिए और नए विकल्प की खोज में मदद करनी चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]