दिल्ली में झुग्गियों के बच्चों को पढ़ाने वाले युवाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात के जरिये सराहा जाना स्वागतयोग्य है। इन युवाओं के छोटे-छोटे प्रयासों को प्रधानमंत्री के स्तर पर प्रशंसा मिलना निश्चित तौर पर इन युवाओं और इनके जैसे तमाम अन्य लोगों के लिए प्रेरणाप्रद है। प्रधानमंत्री ने रविवार सुबह मन की बात में जिन युवाओं का उल्लेख किया। उन्हें एकसाथ लाने का काम मूलत: छत्तीसगढ़ के निवासी कुंदन कांसकर ने किया। कुंदन दस साल पहले दिल्ली आए थे। दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान गीता कॉलोनी में सड़क पर भीख मांगने वाले बच्चों को उन्होंने दोस्तों के साथ मिलकर पढ़ाना शुरू किया। अब उन्होंने सेव चाइल्ड बेगर नाम से संस्था बना ली है और इससे जुड़े करीब 250 युवा दिल्ली में 12 स्थानों पर करीब दो हजार बच्चों को पढ़ा रहे हैं। कुछ युवा अपनी व्यस्त दिनचर्या में से प्रतिदिन दो घंटे, कुछ हफ्ते में एक दिन बच्चों को पढ़ाते हैं।

स्कूल में पहुंच जाने वाले बच्चों को शिक्षा देना उतना मुश्किल काम नहीं है, जितना कि बालश्रम में फंसे और साधनों के अभाव में जीवन यापन कर रहे बच्चों को शिक्षित करना। शिक्षा का अधिकार कानून बन जाने के बावजूद अब भी इस श्रेणी के ज्यादातर बच्चे शिक्षा से महरूम हैं, ऐसे में इन युवाओं के प्रयास न केवल सराहनीय बल्कि अनुकरणीय भी हैं। सिर्फ ये युवा ही नहीं, राजधानी दिल्ली में ऐसे अनेक लोग हैं जो निस्वार्थ भाव से समाज में उपेक्षित लोगों के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे लोग वास्तव में प्रशंसा के हकदार हैं। प्रधानमंत्री के प्रोत्साहन से इन सभी लोगों को प्रेरणा मिलेगी। साथ ही वे युवा जो अब तक समाज को कुछ नहीं दे पा रहे हैं, उनमें भी समाज के लिए कुछ करने का जज्बा पैदा होगा और हमारा राष्ट्र विकासशील से एक विकसित राष्ट्र बन पाएगा।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]