दिल्ली में फैक्टियों में आग लगने की घटनाएं और उनमें कार्यरत कर्मचारियों की मौत होने के लगातार आ रहे मामले चिंताजनक हैं। इसके बावजूद इन घटनाओं से सबक लेकर हालात में सुधार के प्रयास नहीं किए जा रहे। मंगलवार को दिल्ली के मंगोलपुरी इलाके में नेल पॉलिश की फैक्ट्री और सिरसपुर क्षेत्र में पेंट की फैक्ट्री में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। गनीमत यह रही कि सिरसपुर में हादसे में कोई जान नहीं गई, लेकिन फैक्ट्री संचालक की दम घुटने से मौत हो गई। जानमाल का नुकसान होना प्रथमदृष्टया यह दर्शाता है कि इनमें आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम नहीं थे। यह स्थिति जहां एक ओर फैक्ट्री मालिकों को कठघरे में खड़ा करती है, वहीं यह संबंधित विभागों की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिह्न लगाती है।

दिल्ली में औद्योगिक इलाकों के साथ ही अनेक रिहायशी इलाकों में भी बड़ी संख्या में फैक्टियां चल रही हैं। इनमें जहां कुछ फैक्ट्री मालिकों ने फैक्ट्री चलाने के लिए लाइसेंस ले रखा है, वहीं बड़े पैमाने पर अवैध फैक्टियां भी चल रही हैं। लाइसेंस प्राप्त फैक्टियों में भी आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। आखिर इन फैक्ट्री मालिकों को लाइसेंस कैसे मिल जाता है? दिल्ली सरकार को अवैध फैक्टियों को तुरंत बंद करा देना चाहिए। साथ ही लाइसेंस लेकर चलाई जा रही फैक्टियों में आग से सुरक्षा के उपायों की जांच की जानी चाहिए और जहां कमी नजर आए, वहां पुख्ता उपाय सुनिश्चित किए जाने चाहिए। यह दिल्ली सरकार का दायित्व है कि राजधानी में एक भी फैक्ट्री आग से बचाव के पुख्ता उपायों के बिना न चलने पाए और फैक्ट्री मालिक या विभागीय लापरवाही के चलते किसी की जान न जाने पाए।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]