इस तरह के आयोजन की इजाजत कतई नहीं मिलनी चाहिए। सरकार को चाहिए कि जैसे भी हो इस प्रकार के अपकृत्य पर रोक के लिए ठोस कदम उठाए।
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पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा के डुमरिया मेले में हुई चुंबन प्रतियोगिता ने अपसंस्कृति का प्रचार पाया है। ऐसी प्रतियोगिता के नाम पर कुछ लोगों के अपकृत्य के कारण झारखंड की आदिवासी संस्कृति को आघात लगा है। आदिवासी जनों में यह कहावत प्रचलित है कि उनकी वाणी ही संगीत है और उनकी चाल ही नृत्य। संताल परगना के लोगों की संस्कृति बहुत समृद्ध है। दरअसल, इनके गीत, उत्सव, संगीत में लोकजीवन के हर्ष-विषाद, आशा-निराशा सबका समावेश होता है। संताली नृत्य में शृंगार, शौर्य, धार्मिक स्वरूप का खूब समावेश है। जीवन के हर चरण में गीत-संगीत और नृत्य का गहरा सरोकार रखने वाले आदिवासियों का शायद ही कोई घर हो, जहां उनके पारंपरिक वाद्ययंत्र न हों। बाहा नृत्य, बंधना-सोहराय, दसांई, जन्थाड़, पोराब नृत्य आदि की व्यापक ख्याति है। स्त्री-पुरुष दोनों का समन्वय इनके नृत्य-संगीत का प्राणछंद है। अनेक नृत्यों में एक जैसी पोशाक पहनी महिलाएं एक तरफ और फिर एक जैसी पोशाक के साथ पुरुष एक तरफ होकर नृत्य करते हैं। श्रमसिक्त संताल आदिवासियों के जीवन की गहराइयों से लोकगीत और नृत्य की निर्झरणी बहुत निर्मल बहती रही है। उसमें लेश मात्र की भी अश्लीलता की गुंजाइश नहीं होती। लेकिन, लिट्टीपाड़ा में विधायक साइमन मरांडी की उपस्थिति में जिस प्रकार की चुंबन प्रतियोगिता हुई, उसने सबको सकते में डाल दिया है। यह अलग बात है कि संताल क्षेत्र के अलावा झारखंड के अन्य आदिवासी नेताओं ने इसका समर्थन नहीं किया और सबने इसकी निंदा ही की। उसी हिस्से से आने वाले पूर्व मंत्री हेमलाल मुर्मू ने भी इसकी निंदा की। वर्तमान सरकार में मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा व अन्य नेताओं ने भी इसकी भत्र्सना की है। दरअसल, लिट्टीपाड़ा का डुमरिया मेला कुछ लोगों की जेब गर्म करने का साधन भी है। हालांकि, साइमन यह तर्क दे रहे हैं कि ऐसी प्रतियोगिता पहले भी हुई है और आगे भी होती रहेगी। लेकिन, इससे आदिवासी हित का पोषण नहीं होना है। इस क्षेत्र के आदिवासियों का बहुत समृद्ध इतिहास और परंपरा रही है। हूल क्रांति की यह माटी है। इस धरती के योद्धाओं ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था।
जिस संताली संस्कृति में हाथ मिलाने से भी परहेज है और जहां डोबो जोहार की परंपरा है, वहां इसकी इजाजत कतई नहीं मिलनी चाहिए। प्रशासन इसकी जांच कर रहा है। सरकार को चाहिए कि जैसे भी हो इस प्रकार के अपकृत्य पर रोक को ठोस कदम उठाए।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]