नगर निगम सफाई कर्मचारियों की 18 दिनों से चल रही हड़ताल का खत्म होना राहत भरी खबर है। इससे दिल्ली में चरमरा गई सफाई व्यवस्था पटरी पर आ सकेगी। अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने, बकाया एरियर का भुगतान करने, अस्थायी कर्मचारियों को मेडिकल कार्ड देने सहित अन्य मांगों को लेकर निगम के सफाई कर्मचारी आंदोलनरत थे। इससे उत्तरी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र के सभी 104 वार्डो और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पश्चिमी और नजफगढ़ जोन के सभी 54 वार्डो में कूड़ा उठाने और सफाई करने का काम ठप था। इस पर सियासत भी शुरू हो गई थी। वहीं, निगम ने चार हजार अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने की घोषणा की है जिसके बाद शनिवार सुबह से कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म कर काम पर लौट गए हैं। हालांकि कुछ कर्मचारी अब भी हड़ताल पर हैं। अब प्रश्न उठता है कि इस विवाद को हल करने में इतना वक्त क्यों लगा? यदि कर्मचारियों की मांग जायज थी तो फिर उन्हें हड़ताल पर जाने की नौबत क्यों आई।

ऐसा नहीं है कि सफाई कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर पहली बार आंदोलन कर रहे हैं। आए दिन वे कभी वेतन न मिलने तो कभी दूसरी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले जाते हैं जिससे दिल्ली की सूरत बिगड़ने लगती है। हमें याद रखना चाहिए कि दिल्ली से ही प्रधानमंत्री ने अक्टूबर, 2015 में स्वच्छता मिशन की शुरुआत की थी। इससे देश के कई शहरों की सफाई व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सूरत नहीं बदल सकी है। इस स्थिति के लिए दिल्ली सरकार, निगम व कर्मचारी सभी दोषी हैं। निगम और सरकार की जिम्मेदारी है कि वह स्वच्छ वातावरण दिल्ली के लोगों के दें, देश की राजधानी अन्य शहरों के लिए मिसाल बन सके।

[स्थानीय संपादकीय- नई दिल्ली]