राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर को भी जिस तरह नागरिकता संशोधन कानून के विरोध का जरिया बनाकर लोगों को सड़कों पर उतारा जा रहा है उससे यही पता चल रहा कि सरकार दुष्प्रचार की राजनीति की काट करने में समर्थ नहीं हो पा रही है। वास्तव में इसी कारण उस एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को भी नागरिकता कानून और साथ ही एनपीआर से नत्थी करने का सुनियोजित अभियान जारी है जिसके बारे में खुद प्रधानमंत्री यह कह चुके हैैं कि अभी तो उसके बारे में कोई फैसला ही नहीं लिया गया। कहते हैैं कि झूठ के पांव नहीं होते, लेकिन फिलहाल तो झूठ की राजनीति ही बेलगाम है।

यह राजनीति इस कदर बेलगाम है कि सेना प्रमुख की इस सीधी-सच्ची बात पर भी विलाप किया गया कि हिंसा भड़काने वाले नेता नहीं कहे जा सकते। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कांग्रेस समेत अन्य दलों और साथ ही किस्म-किस्म के तमाम गैर राजनीतिक संगठनों की ओर से पहले तो यह माहौल बना दिया गया कि नागरिकता कानून में संशोधन करके सरकार ने कोई घोर संविधान विरोधी काम कर दिया है और फिर यह कि इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के साथ ही उसके खिलाफ सड़क पर उतरना भी जरूरी है। विचित्र केवल यह नहीं कि संसद से पारित कानून को संविधान की दुहाई देते हुए सड़क पर खारिज करने की जिद की जा रही है, बल्कि यह भी है कि 2016 में जब नागरिकता कानून में संशोधन का विधेयक लोकसभा से पारित हुआ था तो किसी ने हल्ला-हंगामा करने की जरूरत नहीं समझी थी। आज स्थिति यह है कि जिसे देखो वही आसमान सिर पर उठाए है।

सरकार विरोधी धारणा के निर्माण का काम किस सुनियोजित तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है, इसका पता इससे भी चलता है कि असम में जिस कांग्रेस ने डिटेंशन सेंटर बनाने शुरू किए उसी ने मोदी सरकार पर यह तोहमत मढ़ने में संकोच नहीं किया कि ये सेंटर तो वह बना रही है। इसी तरह जिस कांग्रेस ने 2010 में एनपीआर तैयार कराया वही अब कुछ ऐसा प्रदर्शित कर रही है जैसे मोदी सरकार कोई नया-अनोखा काम करने जा रही है। एक तथ्य यह भी है कि कांग्रेस के कार्यकाल में कई बार यह रेखांकित किया गया कि एनपीआर के बाद एनआरसी लाया जाएगा। आखिर सरकार और साथ ही भाजपा धारणा के इस खेल में पिछड़ती क्यों दिख रही है? उसे इससे भी चिंतित होना चाहिए कि नागरिकता कानून, एनआरसी और एनपीआर पर उसके तर्कों के आगे वे लोग अपना खेल खेलने में सक्षम क्यों हैैं जो कुतर्कों का सहारा लेने में लगे हुए हैैं?