जोधपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए पर एक इंच भी पीछे न हटने की बात कहकर यही स्पष्ट किया कि सरकार अपने फैसले पर अडिग है। उसे अडिग रहना भी चाहिए, क्योंकि अब इस कानून से पीछे हटने का मतलब होगा दुष्प्रचार और साथ ही भ्रम एवं हिंसा फैलाने वाली राजनीति के समक्ष घुटने टेकना। विपक्ष को भी यह समझ आए तो बेहतर कि वह किसी मसले पर लोगों को बहुत दिनों तक गुमराह नहीं कर सकता। उसे इसका आभास होना चाहिए कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उपजा संशय छंट रहा है और लोग यह समझने लगे हैैं कि यह तो वह कानून है जिसका किसी भारतीय नागरिक से कोई लेना-देना ही नहीं।

यदि विपक्ष यह मांग नहीं कर रहा है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बहुसंख्यकों को भी नागरिकता संशोधन कानून के दायरे में लाया जाए तो फिर उसे यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह चाहता क्या है? उसे यह भी बताना होगा कि उसकी ओर से किस आधार पर यह कहा जा रहा है कि यह कानून भेदभाव भरा और संविधान के खिलाफ है? ध्यान रहे कि नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जो तमाम याचिकाएं दायर की गई हैं उनमें एक बड़ी संख्या विपक्षी नेताओं की ओर से दायर याचिकाओं की है। आखिर ये याचिकाएं दायर करने वाले विपक्षी नेता सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने के लिए तैयार क्यों नहीं?

विपक्षी नेताओं को इसका भी अहसास होना चाहिए कि वे अब नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी को नागरिकता संशोधन कानून के साथ जबरन नत्थी नहीं कर सकते, क्योंकि प्रधानमंत्री के बाद गृहमंत्री की ओर से भी यह स्पष्ट किया जा रहा है कि फिलहाल इसे लेकर कोई पहल नहीं हो रही है। क्या इसके बाद भी विपक्ष एनआरसी को लेकर लोगों को भ्रमित और भयभीत करने का काम जारी रखेगा? कहना कठिन है कि वह क्या करेगा, लेकिन यह तो स्पष्ट ही है कि उसने जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यह तब है जब एनपीआर जनगणना का हिस्सा है।

एनपीआर के खिलाफ लोगों को जिस तरह इसके लिए बहकाया जा रहा है कि वे न तो कोई कागज दिखाएं और न ही किसी तरह का फार्म भरें, उसे देखकर तो यही लगता है कि जनगणना के खिलाफ मोर्चा खोला जा सकता है। चूंकि सत्तापक्ष विपक्षी दलों के तेवरों से परिचित हो चुका है इसलिए उसे भी उन कारणों की तह तक जाने और उनका निवारण करने की जरूरत है जिनके चलते कुछ लोग सीएए पर जनता को इतनी आसानी से गुमराह करने में सफल हो गए?