मोदी सरकार की दूसरी पारी शुरू होने जा रही है। इस पारी पर देश ही नहीं, दुनिया की भी निगाहें होंगी। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने इतनी प्रचंड जीत हासिल की है कि देश के साथ-साथ दुनिया भी दंग है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि ऐसा कम ही होता है कि इतने बड़े देश में कोई सरकार सत्ता विरोधी प्रभाव को दरकिनार करते हुए और अधिक मजबूती से सत्ता में वापसी करे। चूंकि इस बार भाजपा ने कई ऐसे राज्यों में बेहतर प्रदर्शन किया है जहां पिछली बार ज्यादा सीटें हासिल नहीं कर पाई थी इसलिए यह तय है कि मोदी मंत्रिमंडल कुछ अलग तरह का होगा। ऐसा होना इसलिए भी तय है, क्योंकि अरुण जेटली सेहत के चलते सरकार में शामिल नहीं हो रहे हैैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों को दुरुस्त करने के क्रम में दक्ष लोगों को ही मंत्री बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

मंत्रियों की काबिलियत का ऊंचा स्तर ही चुनौतियों से पार पाने में सहायक बनेगा। इसमें संदेह नहीं कि मोदी सरकार की वापसी जनता के इस भरोसे के साथ हो रही है कि वह अपने पहले कार्यकाल में जो कुछ नहीं कर पाई उसे इस बार करेगी और साथ ही जो काम अच्छे से नहीं हो सके उनकी भी भरपाई हो सकेगी। स्पष्ट है कि इस बार मोदी सरकार से अपेक्षाएं और अधिक बढ़ी हुई होंगी। किसी भी सरकार के लिए इतनी विशाल आबादी की अपेक्षाएं पूरी करना आसान नहीं, लेकिन यह भी सही है कि जब बहुमत प्रबल होता है तो अपेक्षाएं भी बढ़ जाती हैैं।

यह अच्छी बात है कि आत्मविश्वास से भरे हुए प्रधानमंत्री यही आभास दे रहे हैैं कि उन्हें जनता की बढ़ी हुई अपेक्षाओं को पूरा करना है। उन्होंने चुनाव नतीजों के बाद अपने विभिन्न संबोधनों के जरिये ऐसे संकेत दिए हैैं कि इस बार उनकी सरकार कुछ अलग तरीके से काम करेगी और पुराने कामों को गति देने के साथ ही कई बड़े लक्ष्य पूरे करने में भी जुटेगी। इनमें से कुछ का जिक्र भाजपा के घोषणा पत्र में भी है। चूंकि भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन अगले साल के अंत तक राज्यसभा में भी बहुमत हासिल कर लेगा इसलिए मोदी सरकार पर यह दबाव भी बढ़ेगा कि उसने जो चुनौती भरे वायदे किए हैैं उन्हें अवश्य पूरा करे। इन वायदों को पूरा करने के साथ ही मोदी सरकार को सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास के अपने ध्येय को भी सार्थक साबित करना होगा। वास्तव में इससे ही देसी और विदेशी मीडिया के एक हिस्से की ओर से किया जा रहा कुप्रचार थमेगा।

चूंकि देश ही नहीं दुनिया भी दूसरी पारी में मोदी सरकार को नए तेवर में देखना चाहेगी इसलिए यह अपेक्षित है कि नौकरशाही के तौर-तरीकों मे बदलाव को विशेष प्राथमिकता दी जाए। वास्तव में ऐसा करके ही नए भारत के निर्माण के लक्ष्य को आसानी से हासिल किया जा सकेगा। नि:संदेह यह अपेक्षा विपक्ष से भी है कि वह भी अपने पुराने तौर-तरीकों का परित्याग करे। लोकतंत्र में विपक्ष के सशक्त होने से ज्यादा महत्वपूर्ण उसका रचनात्मक होना होता है।

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