अपने दूसरे कार्यकाल का तीसरा वर्ष पूरा करते ही नरेन्द्र मोदी को केंद्र की सत्ता संभाले हुए आठ वर्ष हो गए। इस अवसर पर यह अवश्य स्मरण किया जाना चाहिए कि मई 2014 में जब उन्होंने देश की कमान संभाली थी, तब कैसे हालात थे और आज क्या स्थिति है? तब संप्रग सरकार की नीतिगत पंगुता और घोटालों के सिलसिले के कारण जहां देश में निराशा का माहौल था, वहीं विश्व पटल पर भी भारत की छवि कोई बहुत अच्छी नहीं थी। आज स्थिति बदली हुई दिखती है तो इसका श्रेय नरेन्द्र मोदी को जाता है।

पीएम मोदी ने न केवल देश की राजनीति और शासन-प्रशासन की कार्यशैली को बदला, बल्कि अपने कूटनीतिक कौशल से विश्व में देश का मान भी बढ़ाया। इसके चलते तमाम समस्याओं के बावजूद औसत भारतीय ही नहीं, विभिन्न देशों में रह रहे भारतवंशी भी आत्मविश्वास से भरे हैं और यह मान रहे हैं कि देश के समक्ष जो भी चुनौतियां हैं, उनसे नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पार पा लिया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने लोगों के मन में यह जो भाव जगाया है, वही उनकी सबसे बड़ी ताकत है और उसी के जरिये वह देश को आगे ले जाने और आवश्यक बदलाव ला पाने में समर्थ दिख रहे हैं। उन्होंने अपनी कार्यशैली और विशेष रूप से विकास एवं जनकल्याण की योजनाओं को प्रभावी तरीके से जमीन पर उतारने में जैसी सफलता अर्जित की, उसकी मिसाल मिलना कठिन है। उन्होंने कई ऐसे साहसिक काम करके दिखाए, जो असंभव से माने जा रहे थे। उनके शासन में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन यह हुआ कि राष्ट्रवाद को एक नई ऊर्जा मिली और राष्ट्रभाव कहीं अधिक प्रबल हुआ।

वैसे तो घरेलू और बाहरी मोर्चे पर मोदी सरकार की उपलब्धियों की एक लंबी सूची है, लेकिन सामाजिक विकास की योजनाओं के जरिये निर्धन वर्ग में स्वावलंबन की भावना जगाना, अर्थव्यवस्था के आधारों को सशक्त करना, राष्ट्रहित में देश-दुनिया को चकित करने वाले कड़े फैसले लेने में संकोच न करना विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इसका महत्व इसलिए और बढ़ जाता है, क्योंकि इस दौरान भारत को उस कोविड महामारी से भी जूझना पड़ा, जिसने हर किसी को प्रभावित किया और अर्थव्यवस्था के समक्ष गंभीर संकट खड़े किए।

यह इस संकट का सामना करने में मोदी सरकार को मिली सफलता का ही परिणाम है कि भारत आज सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में जाना जा रहा है। अब जब मोदी सरकार आठ साल के अपने कार्यकाल की उपलब्धियां रेखांकित कर रही है, तब उसे यह भी याद रखना चाहिए कि नौकरशाही के निचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना अभी शेष है। इसी तरह शहरों की सूरत बदलने का काम भी अभी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो पाया है।