सोशल मीडिया का दुरुपयोग
सोशल मीडिया दूर दराज बैठे अपने परिजनों, मित्रों से जुड़े रहने का प्रभावी और शानदार माध्यम है।
सोशल मीडिया दूर दराज बैठे अपने परिजनों, मित्रों से जुड़े रहने का प्रभावी और शानदार माध्यम है। भले ही यह आभासी दुनिया हो, लेकिन इस पर बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी मित्र बन जाते हैं, जो एक दूसरे से कभी मिले नहीं होते। खास तौर से यदि विचारधारा समान हो तो यह मित्रता और प्रगाढ़ हो जाती है और लोग समूह बनाकर अपने पक्ष में तर्क-कुतर्क तो करते ही हैं, डाक्टर्ड वीडियो और फोटोशॉप का उपयोग कर फोटो बनाकर भ्रमित करते हैं। अफवाह फैलाते हैं। लोगों को बदनाम करते हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जो केवल मजे लेने के लिए अपनी रचनाधर्मिता का गलत इस्तेमाल कर लोगों को बदनाम करने में विशेष रुचि लेते हैं। अभी कुछ दिन पहले फेसबुक पर खराब खाने का वीडियो वायरल कर चर्चा में आए बीएसएफ के पूर्व जवान तेजबहादुर यादव के लिए किया गया था।
नक्सली आपरेशन में मारे गए एक जवान की फोटो डालकर बताया गया कि तेजबहादुर की हत्या कर दी गई। अब डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत रामरहीम के जेल जाने के बाद सोशल मीडिया पर यह अफवाह तेजी से फैलाई जा रही है कि जेल में बंद गुरमीत नकली है। ऐसे कई उदाहरण हैं। सोशल मीडिया का सबसे भयावह दुरुपयोग सांप्रदायिक हिंसा और दंगे फैलाने में भी होता है। डेराप्रमुख प्रकरण के पहले हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान जो हिंसा हुई उसमें भी सोशल मीडिया का जमकर दुरुपयोग किया गया। वैसे भी आत्महत्या के लाइव वीडियो और हिंसा के वीडियो डालने की लोगों में होड़ लगी रहती है। इस वजह से सोशल मीडिया से सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि सोशल मीडिया पर सब गलत ही हो रहा है। इसके जरिये बहुत से अच्छे काम भी हो रहे हैं। अच्छे लोग ज्ञानवर्धक जानकारी दे रहे हैं, अच्छी चीजें सामने आ रही हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर जो गलत हो रहा है इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है। कैसे लगेगा यह सरकार को तय करना है। एक तरीका यह भी हो सकता है कि सोशल मीडिया पर किसी को एकाउंट बनाने की इजाजत तभी मिले जब वह उसमें अपना आधार नंबर रजिस्टर कराए। फोन नंबर रजिस्टर कराए और संबंधित आधार नंबर एकाउंट बनाने वाले का ही है, इसकी पुष्टि के बाद ही उसे इजाजत मिले।
[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]