झारखंड में जैक द्वारा ली जाने वाली आठवीं, मैटिक व इंटर की परीक्षा और उसके बाद होने वाले मूल्यांकन में गड़बड़ी की बातें हर साल सामने आती रही हैं। पिछले दिनों यह मामला सामने आया था कि कुछ उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन उन शिक्षकों ने किया जो उस विषय के शिक्षक नहीं थे। छात्र-छात्रओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ को लेकर काफी विवाद भी हुआ। ताजा मामला रांची के एक कॉलेज की शिक्षिका का सामने आया है। जब कागज पर एक ही शिक्षिका एक ही समय में दो जगह पर उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन कर रही थीं। वह भी झारखंड एकेडमिक काउंसिल की इंटरमीडिएट तथा रांची विवि के स्नातक पार्ट थ्री की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन। इंटरमीडिएट की उत्तरपुस्तिकाएं सेंट जॉन इंटर कॉलेज मूल्यांकन केंद्र पर तो स्नातक की रांची के मोरहाबादी स्थित परीक्षा भवन केंद्र पर। इसमें भी एक केंद्र पर वह मुख्य परीक्षक की भूमिका में थीं। मुख्य परीक्षक के ऊपर अपने केंद्र पर हर परीक्षक द्वारा जांची गई उत्तरपुस्तिकाओं के 10 फीसद के मूल्यांकन की जवाबदेही के अलावा हर दिन 15 कॉपियों का मूल्यांकन भी करना होता है। इतनी जिम्मेदारी के बाद स्नातक तृतीय वर्ष की कॉपी जांचने के दौरान छात्र-छात्रओं के साथ कितना न्याय हो पाता होगा, यह सवाल विचारणीय है।

मैटिक के बाद इंटरमीडिएट पहली दहलीज होती है, जब बच्चों के आगे का भविष्य इस परीक्षाफल पर टिका रहता है। इस परीक्षा के रिजल्ट पर ही वे अपने भविष्य का निर्धारण करते हैं। वहीं स्नातक के तृतीय वर्ष के बाद ही बड़ी नौकरियों के द्वार खुलते हैं, ऐसे में इतने गैर जिम्मेदाराना तरीके से मूल्यांकन जैसे कार्य को पूरा किया जाना कई तरह के सवाल खड़े करता है। उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन की इतनी महत्वपूर्ण प्रक्रिया को कामचलाऊ तरीके के तहत पूरा किया जाना गंभीर बात है। जैक ने इंटरमीडिएट परीक्षा-2017 के टॉप 20 छात्रों की उत्तरपुस्तिकाओं की स्क्रूटनी कराई थी। इसमें 73 छात्रों की उत्तरपुस्तिकाएं थीं, जिसमें 30 (41 फीसद) छात्रों के अंक बदल गए थे। यह एक बानगी थी कि उत्तरपुस्तिकाओं के साथ कितना न्याय हो पाता है। शिक्षक तो सिर्फ अधिक से अधिक पैसे बनाकर निकल जाते हैं, लेकिन उन बच्चों का क्या होगा, जो उनकी कलम से फेल हुए हैं। बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ रोकने के लिए जरूरी है कि जैक के साथ विश्वविद्यालय भी इसे गंभीरता से लेते हुए इस पर कड़ी कार्रवाई करे जिससे आगे मूल्यांकन जैसे महत्वपूर्ण कार्य को इतने गैर जिम्मेदाराना तरीके से न निपटाया जाए।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]