दस सरकारी बैैंकों के विलय का फैसला र्बैैंंकिंग सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है। ऐसे किसी फैसले का एक अर्से से इंतजार किया जा रहा था, क्योंकि देश में दो दर्जन से अधिक सरकारी बैैंक होने का कोई औचित्य नहीं बनता। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की दस बैैंकों का विलय चार बैैंकों में करने की घोषणा का मतलब है कि अब देश में एक दर्जन सरकारी बैैंक ही रह जाएंगे। चूंकि चार-पांच सरकारी बैैंक ही पर्याप्त माने जा रहे हैैं इसलिए देखना यह है कि भविष्य में बैैंकों की संख्या में और कटौती होती है या नहीं?

जो भी हो, कम से कम अब यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सरकारी बैैंक उन समस्याओं से न ग्रस्त होने पाएं जिनके चलते एक तरह से उनका दीवाला निकल गया। शेष सरकारी बैैंकों को न केवल एक-दूसरे से, बल्कि निजी क्षेत्र के बैैंकों से भी प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए। इससे भी जरूरी यह है कि उन्हें जनता के पैसे से खुद को उबारे जाने की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। इसी के साथ यह भी आवश्यक है कि वे बेजा राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त रहें और कर्ज बांटने का काम इस तरह करें कि उसे वसूल भी कर सकें।

हालांकि सरकार यह भरोसा दिला रही है कि सरकारी बैैंकों के एनपीए में सुधार आया है, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि फंसे कर्ज की वसूली अभी भी चिंता का विषय बनती रहती है। इस चिंता से तभी मुक्त हुआ जा सकता है जब सरकारी बैैंकों को फंसे कर्ज के मामले में जवाबदेह बनाया जाएगा। इसके लिए जरूरी हो तो नियम-कानूनों में बदलाव किया जाना चाहिए।

बैैंकों में विलय की घोषणा एक ऐसे समय हुई जब अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में भारी गिरावट सामने आई। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर घटकर पांच प्रतिशत रह जाना यह बताता है कि मंदी का असर गहरा रहा है। यह बीते छह साल में सबसे धीमी विकास दर है। हालांकि अर्थव्यवस्था में सुस्ती के चलते जीडीपी में गिरावट का अंदेशा था, लेकिन पांच प्रतिशत का आंकड़ा कहीं अधिक चिंतित करने वाला है।

सरकार उन कारणों से अनभिज्ञ नहीं हो सकती जिनके चलते अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ती जा रही है। उसे इन कारणों का निवारण प्राथमिकता के आधार पर करना होगा और इस क्रम में सबसे पहले यह देखना होगा कि लोगों की क्रय शक्ति कैसे बढ़े? उपभोक्ता मांग बढ़ाने के कारगर उपायों के साथ सरकार को आर्थिक सुधारों को भी नए सिरे से गति देनी चाहिए, क्योंकि तभी उन कदमों का सही लाभ मिलेगा जो हाल के दिनों में अर्थव्यवस्था को बल देने के लिए उठाए गए हैैं।