-----उम्मीद की जानी चाहिए व्यापारी प्रकोष्ठ गठित होने के पश्चात इस वर्ग की मुसीबतों का कुछ हल निकल सकेगा। -----भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में व्यापारी प्रकोष्ठ गठित करने का वादा किया था। सरकार इस दिशा में कदम उठाती, उससे पहले ही सर्राफा व्यापारियों के साथ ताबड़तोड़ लूट, हत्या की वारदात शुरू हो गई। कहीं व्यापारियों से रंगदारी मांगी गई तो कई जगह व्यापारी अगवा किए गए। सीतापुर, मथुरा, वाराणसी, फतेहगढ़, कानपुर, लखनऊ में सर्राफा व्यापारियों के साथ आपराधिक वारदात हुईं। सुरक्षा को लेकर व्यापारी सरकार से नाराज थे। जीएसटी की दुश्वारियों से व्यापारियों में नाराजगी बढ़ रही थी। ऐसे में योगी सरकार ने भाजपा के 'संकल्प पत्र' पर अमल की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया। व्यापारी सुरक्षा प्रकोष्ठ गठित करते हुए प्रत्येक जिले में एक अपर पुलिस अधीक्षक या सीनियर क्षेत्राधिकारी को सीधे शासन से नोडल अधिकारी नामित किया गया। नोडल अधिकारी व्यापारियों की समस्या व सुरक्षा की दिशा में कदम उठायेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के तीन दिन के लखनऊ प्रवास के दौरान भी व्यापारियों की सुरक्षा का मुद्दा विभिन्न मंचों पर उठा तो उन्होंने कार्रवाई की भरोसा दिया था। व्यापारी सुरक्षा प्रकोष्ठ का गठन शाह द्वारा व्यापारियों को दिए गए आश्वासन के आलोक में देखा जा रहा है। सुरक्षा मांगे जाने पर व्यापारियों को तत्काल इसे मुहैया कराने के निर्देश भी दिए गए हैं। वस्तुत: राज्य सरकार ने व्यापारियों की समस्याओं के निपटारे के लिए नोडल अधिकारी बनाकर उनका गुस्सा कुछ हद तक कम करने का प्रयास किया है।इसमें शक नहीं कि व्यापारी वर्ग भाजपा का एकमुश्त वोट बैंक रहा है और है भी लेकिन, बढ़ती अपराधिक घटनाओं से उनका जीना मुहाल हो गया था। कई जगह शाम ढलने से पहले ही व्यापारी दुकानें बंद करने को मजबूर थे। सरकार की ओर से की गई इस बहुप्रतीक्षित पहल का स्वागत किया जाना चाहिए। उम्मीद की जानी चाहिए व्यापारी प्रकोष्ठ गठित होने के पश्चात इस वर्ग की मुसीबतों का कुछ हल निकल सकेगा। व्यापारियों को भी चाहिए कि किसी भी घटना-दुर्घटना पर धरना, प्रदर्शन अथवा आंदोलन के बजाए वे इस प्रकोष्ठ की शरण में जाने का अभ्यास शुरू कर दें। इसी बहाने प्रकोष्ठ की कार्यप्रणाली की तफ्तीश भी हो जाएगी। इसलिए सरकार को पुलिस पर नजर रखनी होगी।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]