देश में भाजपा विरोधी गठबंधन तैयार करने में तृणमूल कोई भी कोर-कसर नहीं छोडऩा चाहती। यही वजह है कि देश में कहीं भी भाजपा व केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठती है तो तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी तत्काल उसके सुर में सुर मिला दे रही हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव पर नजर रखते हुए ममता मोदी विरोधी गठबंधन का अहम हिस्सा बनना चाहती हैं। यही वजह है कि जिन सियासी दलों का बंगाल में कोई अस्तित्व नहीं पर राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका है, ऐसे दलों के साथ ममता तालमेल बैठाने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे दलों में शिवसेना, एनसीपी, आम आदमी पार्टी शामिल है। साथ ही भाजपा के बागी नेता व पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा के साथ भी संपर्क रख रही हैं। कुछ दिन पहले जब ममता मुंबई गई थीं तो वहां शिवसेना प्रमुख उद्भव ठाकरे से भी मुलाकात की थी। एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ-साथ दक्षिण राज्यों के विभिन्न सियासी दलों के साथ नियमित रूप से संपर्क रख रही हैं। हालांकि, ममता जो रणनीति बना रही हैं उसमें अब तक कांग्र्रेस के साथ संपर्क रखने को लेकर कोई खुलासा नहीं हुआ है।

बंगाल में उनकी अकेले चलो की नीति बनी हुई है। यही वजह है कि दिल्ली व मुंबई में केंद्र सरकार के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन में तृणमूल के प्रतिनिधि भी शामिल होने जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि ममता का अलग एक गठबंधन तैयार करने की योजना पहली बार बनी है। इससे पहले 2014 में भी ममता ने अलग फ्रंट तैयार करने की कोशिश की थी। परंतु, सफल नहीं हुईं। अब जबकि स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है तो ममता को पता है कि गैर भाजपा व गैर कांग्र्रेसी दलों को एकजुट किए बिना भाजपा को राष्ट्रीय राजनीति में टक्कर नहीं दिया जा सकता। परंतु, सवाल यह उठ रहा है कि तीसरा फ्रंट तैयार करने को लेकर लगभग हर लोकसभा चुनाव से पहले प्रयास हुआ, लेकिन क्यों नहीं परवान चढ़ सका? इस समय राष्ट्रीय राजनीति में भी दो ध्रुव है। एक भाजपा समर्थित राजग है तो दूसरा कांग्र्रेस का समर्थक संप्रग। इन दोनों ही मोर्चे से ममता दूर हैं। माकपा के भी कई नेता कांग्र्रेस के साथ जाने को तैयार नहीं है। ऐसे में कांग्र्रेस के लिए तृणमूल को साथ लेना मुश्किल नहीं तो आसान भी नहीं है। क्योंकि, कांग्र्रेस यदि गठजोड़ की कोशिश करती है तो तृणमूल अपनी शर्तों पर करेगी। खैर, ममता की रणनीति कहां तक कारगर होती है यह तो वक्त बताएगा।

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(हाईलाइटर ::: 2019 के लोकसभा चुनाव पर नजर रखते हुए ममता मोदी विरोधी गठबंधन का अहम हिस्सा बनाना चाहती हैं।)

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]