बंगाल सरकार भीषण संकट के समय भी किस तरह राजनीतिक क्षुद्रता का परिचय देने का समय निकाल ले रही है, इसका ही उदाहरण है केंद्र सरकार की अंतर मंत्रालय टीम को कुछ समय तक कोलकाता में रोका जाना। यह टीम कोरोना संक्रमण की दृष्टि से राज्य के नाजुक इलाकों का जायजा लेने के लिए वहां पहुंची थी। हालांकि केंद्र सरकार ने इस टीम को भेजने की जानकारी खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दी थी, लेकिन पहले वह यह जानने में लग गईं कि किस नियम के तहत यह टीम भेजी जा रही है, फिर जब उन्हें बताया गया कि ऐसा 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत किया गया है तब उन्होंने असहयोग करने का यह बहाना खोजा कि केंद्र सरकार केवल विपक्ष शासित राज्यों में अपनी टीमें भेज रही है। एक तो यह आरोप ही मिथ्या था, क्योंकि एक टीम मध्य प्रदेश भी भेजी गई और दूसरे, ममता सरकार को यह साधारण सी बात समझना चाहिए कि जब सवाल लोगों की जिंदगी का हो तब केंद्र-राज्य संबंधों की फर्जी दुहाई देने से जगहंसाई ही होगी।

आखिरकार बंगाल सरकार को अपनी भूल का अहसास हुआ और उसने केंद्रीय टीम को राज्य का दौरा करने की इजाजत दी, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि ममता बनर्जी रह-रहकर केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोलती रहती हैं। उनकी सरकार ने न केवल कई केंद्रीय योजनाओं में अड़ंगा लगाया है, बल्कि बांग्लादेश से होने वाले समझौतों में भी बाधाएं खड़ी की हैं। सबसे खराब बात यह है कि बंगाल जन कल्याण की भी कई केंद्रीय योजनाओं को रोके हुए है।

कोरोना कहर को थामने के लिए जब जरूरत इसकी है कि हर कोई राजनीतिक मतभेद भुलाकर एकजुटता का परिचय दे तब बंगाल सरकार को वोट बैंक की राजनीति के लिए अपनी अलग खिचड़ी पकाना बंद करना चाहिए। ऐसा इसलिए और भी किया जाना चाहिए, क्योंकि राज्य के कई इलाकों में कोरोना संक्रमण बेलगाम होता दिख रहा है। यह किसी से छिपा नहीं कि इसे लेकर बार-बार संदेह जताया जा रहा है कि बंगाल से कोरोना संक्रमित लोगों के सही आंकड़े नहीं मिल रहे हैं।

समझना कठिन है कि जब ममता सरकार इससे अवगत थी कि जैसी अंतर मंत्रालय टीम बंगाल भेजी गई वैसी ही महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि के उन जिलों में भी भेजी जा रही है जहां कोरोना के संक्रमण का फैलाव चिंताजनक है तब फिर उसने सस्ती राजनीति का परिचय देना जरूरी क्यों समझा? कारण जो भी हो, बीते दो दिनों में पहले केरल और फिर बंगाल सरकार ने जैसा रवैया दिखाया वह यही बताता है कि राजनीतिक एकजुटता का अपेक्षित परिचय नहीं दिया जा रहा है।