महामारी कोविड-19 पर लगाम लगाने के लिए शुरू हो रहे टीकाकरण अभियान के साथ ही भारत उन चंद देशों में शामिल हो रहा है, जो स्वनिर्मित वैक्सीन का उपयोग कर रहे हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि है और देश को इस पर गर्व होना चाहिए। इस टीकाकरण अभियान की एक विशेषता यह भी है कि यह इस तरह का दुनिया का सबसे बड़ा अभियान है। चूंकि देश के साथ दुनिया की भी निगाहें भारत पर होंगी इसलिए इस अभियान में शामिल केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कहीं कोई बाधा-समस्या न खड़ी होने पाए। इसके लिए हर स्तर पर आपसी समन्वय और सहयोग के साथ सेवाभाव आवश्यक होगा। टीकाकरण में शामिल सरकारी मशीनरी के साथ-साथ टीके के लाभाíथयों को भी संयम और अनुशासन का परिचय देना होगा। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि पहले चरण में स्वास्थ्य कíमयों समेत उन कर्मचारियों को ही टीके लगने हैं, जो कोरोना वायरस से उपजी महामारी का मुकाबला करने में आगे रहे। यह स्पष्ट कर दिए जाने के बाद किसी तरह के संशय के लिए गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन, दोनों ही वैक्सीन को तय प्रक्रिया के तहत मंजूरी दी गई है।

वैक्सीन को लेकर जहां विपक्ष से यह अपेक्षित है कि वह बेवजह के सवाल खड़े करने से बचे, वहीं सरकार को भी इसके लिए सतर्क रहना होगा कि अनावश्यक प्रश्न उठने की नौबत न आए। यह ऐसा मामला नहीं, जिसे लेकर राजनीतिक क्षुद्रता का परिचय दिया जाए, क्योंकि सवाल केवल लोगों की सेहत का ही नहीं, देश की प्रतिष्ठा का भी है। इस अभियान के माध्यम से देश लोगों की सेहत की रक्षा के उपाय करने के साथ ही अपनी साम‌र्थ्य का भी परिचय देने जा रहा है। ऐसे किसी अभियान को सफल बनाने की कोशिश और कामना हर किसी को करनी चाहिए। हालांकि टीकाकरण अभियान शुरू होने के पहले प्रधानमंत्री ने अफवाहों से बचने की अपील की थी, लेकिन यह पर्याप्त नहीं। चूंकि इसकी आशंका है कि शरारती तत्व और साथ ही हर मामले में राजनीति चमकाने का मौका खोजने वाले टीकाकरण अभियान को अपना निशाना बना सकते हैं, इसलिए उनसे निपटने का तंत्र भी सचेत-सक्रिया रहना चाहिए। टीकाकरण के प्रथम चरण में मुफ्त वैक्सीन लगनी है, लेकिन अगले चरण में यह संभव नहीं। हैरानी इस पर है कि इसके बावजूद कुछ नेता सभी को मुफ्त वैक्सीन लगाने की मांग कर रहे हैं। यह नारेबाजी वाली राजनीति से प्रेरित मांग है। जो समर्थ हैं उन्हें मुफ्त टीके की सुविधा प्रदान करने का कोई मतलब नहीं। यह सुविधा तो निर्धन तबके के लोगों को ही दी जानी चाहिए।