पंजाब में सरकारी विभाग लूट के अड्डे ही बन गए हैं। बेशक विभागों को वर्तमान में कम्यूटरीकृत किया जा रहा है परंतु सरकार के खजाने को चूना लगाने वाले यहां पर भी सेंधमारी से बाज नहीं आ रहे हैं। राज्य के नगर निकाय और ट्रस्ट तो भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात ही होते जा रहे हैं। अभी हाल ही में अमृतसर में नगर निगम, सीवरेज बोर्ड और इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के हुए फॉरेंसिक ऑडिट में करोड़ों रुपये की घपलेबाजी सामने आई है। पिछले दस सालों के वित्तीय मामलों के पहले चरण के ऑडिट में ही करीब सौ करोड़ रूपये की हेराफेरी सामने आ चुकी है। इतना ही नहीं सरकारी विभाग सरकार के ही आदेशों को कितनी संजीदगी से लागू करते हैं इसका भी एक अच्छा नमूना ऑडिट में देखने को मिला है। सरकार ने निगमों, ट्रस्टों और बोर्ड इत्यादि को हिदायत जारी की थी कि अकाउंट का सारा काम डबल एंट्री से होगा ताकि किसी भी स्तर पर हेराफेरी न हो सके और पैसे के आने-जाने पर बराबर चेक रहे। परंतु अमृतसर में तीनों विभागों ने इसे लागू ही नहीं किया और चालीस सालों से सिंगल एंट्री के माध्यम से सरकार के खजाने को लूटने के लिए चोर दरवाजा खुला रखा।

किसी भी विभाग में नियमानुसार तीन ही खाते खुल सकते हैं परंतु अमृतसर नगर निगम ने लूट के लिए बाबन बैंक खाते और इंप्रूवमेंट ट्र्स्ट ने 71 बैंक खाते खोल रखे थे। इनमें से कितने चल रहे हैं और कितने बंद हो चुके हैं इसका कोई हिसाब-किताब ही नहीं है। यह हेराफेरी का खेल सिर्फ अमृतसर में ही नहीं हो रहा बल्कि अन्य शहरों में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है। अभी तो एक ही शहर का कच्चा चिट्ठा खुला परंतु जब अन्य शहरों का भी फॉरेंसिक ऑडिट होगा तो वहां पर भी भ्रष्टाचार की ऐसी ही परतें खुलेंगी। लेकिन ऑडिट करवाने का भी फायदा तभी होगा यदि सरकार भ्रष्टाचार के उजागर होने पर तथाकथित भ्रष्टाचारियों पर कानूनी कार्रवाई कर उन्हें सलाखों के पीछे का रास्ता दिखाए। अन्यथा कैग की तरह ही यह फॉरेंसिक ऑडिट भी बेमतलब ही साबित होगा।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]