-----शायद ही कोई ऐसी योजना हो जो शुरू होते ही भ्रष्टाचारियों के निशाने पर न आ जाती हो। लोहिया आवास योजना में भी यही हुआ। -----अब अखिलेश सरकार की लोहिया आवास योजना में भ्रष्टाचार का मुद्दा गर्म है। ग्राम्य विकास राज्य मंत्री ने विधान परिषद में स्पष्ट कहा कि योजना भ्रष्टाचार का शिकार हुई है। मंत्री का कहना था कि इसकी जांच कराई जाएगी। निश्चित रूप से रोटी, कपड़ा, मकान हर नागरिक की बुनियादी जरूरत है, और इसे मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। समाज कल्याण और सामाजिक सुरक्षा के तहत ऐसी तमाम योजनाएं सरकारें शुरू भी करती हैं लेकिन, शायद ही कोई ऐसी योजना हो जो शुरू होते ही भ्रष्टाचारियों के निशाने पर न आ जाती हो। लोहिया आवास योजना में भी यही हुआ। अब जब योगी सरकार ने इस योजना की जांच की घोषणा कर दी है, पिछली सरकार के तमाम नेता इस पर शोर-शराबा मचाने लगे हैं लेकिन, क्या इन नेताओं के पास इस बात का जवाब है कि जब वे सत्ता में थे तो इस योजना को सही ढंग से लागू करने के प्रति उन्होंने कितनी गंभीरता दिखाई या क्या वे दावे के साथ कह सकते हैं कि इस योजना के तहत उनके क्षेत्र में जितने भी आवास आवंटित हुए हैं, वे शत-प्रतिशत पात्रों को ही मिले हैं या उसमें कोई धांधली-भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। जाहिर सी बात है कि ऐसा दावा करने की स्थिति में कोई भी नेता नहीं होगा, क्योंकि शासन-प्रशासन के साथ एक ऐसी लॉबी समानांतर तौर पर खड़ी हो चुकी है, जिसे बस किसी योजना के शुरू होने का इंतजार रहता है। फिर वह योजना को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाने के लिए हर जतन करने पर उतारू हो जाती है। हालांकि पिछली सरकारों की विकास योजनाओं की बखिया उधेड़ना अब एक परंपरा सी बनती जा रही है, जिस सरकार के कार्यकाल के कायरें में भ्रष्टाचार सामने आ रहे हैं, उसने भी अपने पूर्ववर्ती सरकार के तमाम कामों की जांच करवाई थी। अब वर्तमान सरकार अपनी पूर्ववर्ती सरकार के कामों पर निगाह जमाए हुए है लेकिन, वर्तमान सरकार को यह भी सुनिश्चित करना पड़ेगा कि उसके द्वारा शुरू कराए गए विकास कार्यों पर अंगुली उठाने का मौका किसी को न मिले। पिछली सरकारों के काम की खुर्दबीनी की सार्थकता तभी है, अन्यथा इसे राजनीतिक द्वेष ही माना जाएगा। उम्मीद है कि वर्तमान सरकार इस आक्षेप से मुक्त रहेगी और जल्द ही नतीजे सामने होंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]