कैथल के गुहला में हुई घटना हर्ष फायरिंग के दौरान किसी की जाने लेने की पहली घटना नहीं है। कैथल में तो 12 साल बाद स्विटजरलैंड से शादी रचाने आए अप्रवासी भारतीय युवक की ही जान चली गई। इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगना जरूरी है। लेकिन लगे कैसे? सरकार ने हर्ष फायरिंग रोकने के लिए सख्त कानून बना रखें हैं। फिर भी लोग बाज नहीं आते। शादी समारोह में फायरिंग न करने के लिए कानून का पालन सख्ती से कराया जाना जरूरी है। यदि हर्ष फायरिंग करने पर लाइसेंस निरस्त होने लगें तो शायद कुछ लोग इससे बाज आएं। लेकिन ऐसा होता नहीं है। न कोई पुलिस को शिकायत करता है न कोई कार्रवाई होती है। यदि किसी ने शिकायत कर भी दी तो पुलिस डांट-फटकार कर, चेतावनी देकर और बदले में कुछ ले देकर छोड़ देती है। यही वजह है कि असर और रसूख वाले लोग खुलेआम ऐसा करते हैं और खुशियों के नाम पर हवा में चलाई जाने वाली गोलियां बेकसूरों की जान ले लेती हैं। संपन्न और दबंग वर्ग के हर शादी समारोह का हर्ष फायरिंग हिस्सा होती है। दुखद तो यह है कि शस्त्र लाइसेंस जान का खतरा बता कर लिए जाते हैं, लेकिन लाइसेंसी हथियार शायद ही कभी आत्मरक्षा के लिए इस्तेमाल होते हों। वास्तव में लाइसेंस आत्मरक्षा के लिए कम, असर और रसूख के प्रदर्शन के लिए ज्यादा हासिल किए जाते हैं। इसलिए उनका समय समय पर प्रदर्शन भी असर और रसूख दिखाने के लिए होता है। प्रदेश में हर्ष फायरिंग से आए दिन होने वाली मौतें इसकी साक्षी हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए इसपर रोक लगाना बहुत जरूरी है।

[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]