पंजाब में अतिवादी अमृतपाल सिंह और उसके साथियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई के बाद लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग और अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को में भारत के वाणिज्य दूतावास को खालिस्तान समर्थकों ने जिस तरह निशाना बनाया, उसकी केवल निंदा-भर्त्सना ही पर्याप्त नहीं। भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ब्रिटेन और अमेरिका की सरकारें इन उपद्रवियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें। यह ठीक नहीं कि न तो लंदन में भारतीय उच्चायोग में कोई सुरक्षा व्यवस्था दिखी और न ही सैन फ्रांसिस्को के वाणिज्य दूतावास में। इससे भी खराब बात यह है कि इन दोनों भारतीय ठिकानों पर हमले के लिए जिम्मेदार खालिस्तानियों के विरुद्ध वैसी कार्रवाई नहीं हुई, जैसी अपेक्षित ही नहीं, आवश्यक थी।

यह पहली बार नहीं, जब ब्रिटेन और अमेरिका में भारतीय हितों को चोट पहुंचाने वाले खालिस्तानियों के खिलाफ कार्रवाई के मामले में ढिलाई बरती गई हो। खालिस्तानियों के उपद्रव और उत्पात की एक लंबे समय से अनदेखी होती चली आ रही है। जैसा ब्रिटेन और अमेरिका में हो रहा है, वैसा ही कनाडा और आस्ट्रेलिया में भी। यह किसी से छिपा नहीं कि इन दोनों देशों में खालिस्तानियों ने किस तरह एक के बाद एक मंदिरों को निशाना बनाया। कनाडा और आस्ट्रेलिया के अधिकारियों ने मंदिरों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं की निंदा तो की, लेकिन उपद्रवी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया।

यह महज दुर्योग नहीं हो सकता कि पश्चिमी देश अपने यहां के बेलगाम खालिस्तानियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के स्थान पर हाथ पर हाथ रखकर बैठने का काम कर रहे हैं। कहीं यह ढिलाई किसी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा तो नहीं? भारत को इस प्रश्न की तह तक जाना होगा और इसका एक उपाय इन देशों से सीधे सवाल-जवाब करना है।

भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने में उन देशों की ओर से ढिलाई बरतना हैरान करता है, जो भारत के मित्र देश हैं और जिनके साथ विभिन्न विषयों पर द्विपक्षीय वार्ता का क्रम जारी है। यदि पश्चिमी देश अपने यहां के खालिस्तानियों को नियंत्रित करने में तत्परता का परिचय नहीं देते तो भारत को यह स्पष्ट करने में संकोच नहीं करना चाहिए कि भारतीय हितों के खिलाफ सक्रिय तत्वों के प्रति उनकी सुस्ती संबंधों को बिगाड़ने का काम करेगी। भारत को इन देशों के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए उन्हें इसके लिए बाध्य करना होगा कि वे खालिस्तानी चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई करें।

चूंकि खालिस्तानियों की हरकतें जिहादियों सरीखी होती जा रही हैं इसलिए इस नतीजे पर पहुंचने के अलावा और कोई उपाय नहीं कि उन्हें पाकिस्तान का सहयोग और समर्थन मिल रहा है। स्पष्ट है कि भारत को पाकिस्तान की हरकतों पर भी निगाह रखनी होगी। इसी के साथ इस पर भी ध्यान देना होगा कि विदेश में सक्रिय खालिस्तानी पंजाब में माहौल बिगाड़ने का काम न करने पाएं।