मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा पंजाब के पूर्व मंत्री एवं अकाली नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया पर पहले गंभीर आरोप लगाने और फिर उनसे माफी मांगने के बाद अब दिल्ली सरकार के अधिकारियों का उनसे माफी की उम्मीद करना कतई गलत नहीं है। सीएम के माफी मांगने से यदि सरकार व अधिकारियों के बीच टकराव खत्म होता है तो उन्हें एक कदम आगे बढ़कर इस टकराव को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए। अधिकारी भी मुख्यमंत्री से माफी की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं और लंच के समय पांच मिनट का मौन रखकर व बैठकों का बहिष्कार कर विरोध जता रहे हैं। वे सिर्फ कैबिनेट मीटिंग व बजट से जुड़ी बैठकों में ही हिस्सा ले रहे हैं। ऐसे में शुक्रवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में सरकार के लिए समस्या होना लाजिमी है।

दिल्ली सरकार व अधिकारियों के बीच इस टकराव का खामियाजा दिल्लीवासियों को भी भुगतान पड़ रहा है। मुख्य सचिव मारपीट प्रकरण के बाद से दिल्ली में विकास कार्य पूरी तरह ठप हैं। अधिकारियों के बैठक में हिस्सा न लेने के कारण विकास से जुड़े किसी भी बड़े मामले में कोई काम नहीं हो पा रहा है। ऐसे में यह आवश्यक है कि दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री अधिकारियों से टकराव जल्द से जल्द दूर करें। इसके लिए यदि मुख्यमंत्री को माफी भी मांगनी पड़ती है तो उन्हें इससे संकोच नहीं करना चाहिए। उन्हें

अपने अहम के बजाय दिल्लीवासियों की भलाई की चिंता करनी चाहिए। उन्हें याद रखना चाहिए कि दिल्ली के लोगों ने बहुत उम्मीदों के साथ उन्हें ऐतिहासिक बहुमत से सत्ता सौंपी थी। ऐसे में उनसे लोगों की अपेक्षाएं पूरा करने की उम्मीद किया जाना कतई गलत नहीं है। आवश्यक है कि चुने हुए जनप्रतिनिधि अधिकारियों व कर्मचारियों को विश्वास में लेकर सरकार चलाएं।

[स्थानीय संपादकीय- नई दिल्ली़]