बारामुला में आतंकी हमले में सीआरपीएफ के दो और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक जवान के बलिदान के साथ ही ऐसे बलिदानियों की संख्या और बढ़ गई। यह अच्छा हुआ कि इस हमले में शामिल आतंकियों को आनन-फानन ढेर कर दिया गया, लेकिन इस पर तो विचार किया ही जाना चाहिए कि सुरक्षा बलों पर आतंकी हमलों का सिलसिला कैसे थमे? यह ठीक नहीं कि हमारे जवान आतंकी हमलों का निशाना बनते रहें और अपने प्राणों का उत्सर्ग करते रहें। आवश्यक केवल यह नहीं है कि कश्मीर में सक्रिय आतंकियों के दुस्साहस का दमन प्राथमिकता के आधार पर किया जाए, बल्कि यह भी है कि पाकिस्तान को कश्मीर में आतंक फैलाने और दखल देने से रोका जाए।

वैसे हालात किसी कीमत पर नहीं पैदा होने देने चाहिए जो एक साल पहले थे। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35-ए हटाए जाने के बाद घाटी के हालात सुधरे हैं तो इसका एक बड़ा कारण यही है कि वहां आतंकियों, अलगाववादियों और उनके समर्थकों के साथ-साथ पाकिस्तानपरस्त तत्वों पर कसकर लगाम लगाई है। इन तत्वों को फिर से सिर उठाने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल सुरक्षा परिदृश्य पर बुरा असर पड़ेगा, बल्कि पाकिस्तान का दुस्साहस भी बढ़ेगा। इसके अलावा घाटी की अमन पसंद जनता का मनोबल भी प्रभावित होगा।

यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि कश्मीर के हालात सुधारने में सबसे मददगार वहां का वह तबका ही है जो अमन-चैन के पक्ष में है। इस तबके को प्रोत्साहित करने के साथ उसे और सशक्त भी किया जाना चाहिए। यह काम तभी हो सकेगा जब आतंकियों पर लगाम लगाने में सफलता मिलेगी। नि:संदेह यह एक कठिन काम है, लेकिन इस पर सबसे अधिक ध्यान देना होगा। इस क्रम में यदि सुरक्षा-चौकसी के स्तर को बढ़ाने अथवा उसमें व्यापक बदलाव लाने की जरूरत हो तो उसकी पूíत भी करनी होगी। ऐसा होने पर ही जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

इसमें संदेह नहीं कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद दुनिया भर में शोर मचाने के बावजूद पाकिस्तान की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है, लेकिन इसका खतरा तो है ही कि वह कुंठा का शिकार होकर कश्मीर में आतंकियों की खेप भेजने में न जुट जाए। वैसे भी वह चैन से नहीं बैठा है। उसकी सेना की ओर से संघर्ष विराम का रह-रहकर होने वाला उल्लंघन यही बताता है कि वह आतंकियों की घुसपैठ कराने की फिराक में रहता है। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि संघर्ष विराम उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब दिया जाता है, क्योंकि यह तो एक तथ्य है कि वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।