प्रदेश सरकार ने दिव्यांगों को सम्मान दिलाने के लिए नौकरियों में चार फीसद आरक्षण की व्यवस्था की है। निश्चित तौर पर इससे उनका मान बढ़ेगा और उन्हें किसी पर भी आश्रित नहीं रहना होगा। वे आत्मसम्मान के साथ जीवन जी सकेंगे। दिव्यांगों को लोगों की कृपा नहीं बल्कि सम्मान के साथ समाज में जीने का अधिकार चाहिए। ताकि न परिवार उन्हें बोझ समङों और न समाज। इससे उनकी सृजनशीलता का विकास होगा और वह समाज के विकास में अपना योगदान दे पाएंगे। यह नौकरी केवल उनके लिए आर्थिक स्वावलंबन का ही साधन नहीं बल्कि समाज में सम्मान दिलाने का प्रयास भी है। फिलहाल चतुर्थ श्रेणी के 38 हजार पदों पर भर्ती से पहले दिव्यांगों के लिए विशेष भर्ती अभियान चलेगा।

सरकार ने सभी विभागों और बोर्ड-निगमों को चार दिन के भीतर यानी 30 अप्रैल तक रिक्त पदों की सूची तैयार कर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को भेजने का निर्देश दिया है। दिव्यांगों को जीवन में बेहतर सुविधाएं मिलें और बराबरी का हक मिले यह सुनिश्चित करना समाज की जिम्मेवारी है। बहुत से लोग शारीरिक तौर पर किसी तरह की कमजोरी के बावजूद ऐसा कुछ कर गए कि दूसरों के लिए प्रेरणा बन गए। ऐसे नायकों की विजय गाथाएं हमें समाज को दिशा देती हैं। सरकार को भी देखना होगा कि नौकरी के साथ-साथ उन्हें पर्याप्त सुविधाएं भी उपलब्ध रहें। कार्यालयों में व्यवस्था करनी होगी कि उनके अनुकूल माहौल भी बने। अभी कई जिला मुख्यालय पर बने कार्यालयों में भी विकलांगों के लिए रैंप की व्यवस्था नहीं है। अन्य कई तकनीकी पहलुओं पर भी विचार करना होगा। बेहतर सुविधाओं से ही उनमें बेहतर करने की प्रवृत्ति को बढ़ाया जा सकता है।

[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]