मुंबई से जयपुर जा रही जेट एयरवेज की एक फ्लाइट में विमान चालक दल के सदस्यों की गलती से जिस तरह यात्रियों की जान पर बन आई उसे मामूली घटना नहीं कहा जा सकता। विमान यात्रियों की जान जोखिम में डालने वाली यह घटना इसलिए कहीं गंभीर है, क्योंकि हाल-फिलहाल शायद ही कभी यह सुना गया हो कि चालक दल विमान के अंदर हवा के दबाव को नियंत्रित करने वाला स्विच दबाना ही भूल जाएं। आखिर किसी की तो यह जिम्मेदारी रही होगी कि ऐसा किया जाना है? इसी तरह किसी अन्य की यह जिम्मेदारी भी रही होगी कि यह सुनिश्चित करे कि विमान यात्रा को सुरक्षित बनाने वाले सभी जरूरी कदम उठा लिए गए हैैं या नहीं? चूंकि ऐसा कुछ नहीं किया गया इसलिए कई यात्रियों के नाक-कान से खून निकालने लगा और हालात ऐसे बने कि विमान को वापस मुंबई हवाई अड्डे पर उतारना पड़ा।

उस क्षण की कल्पना करना कठिन है जब विमान यात्रियों को सांस लेने में परेशानी हो रही थी और फिर भी कोई इस बारे में सूचित करने वाला नहीं था कि ऐसा क्यों हो रहा है और किन कारणों से विमान जहां से रवाना हुआ था वहीं उतारा जा रहा है? एक तरह से समस्या को और गंभीर बनाने के साथ ही विमान यात्रियों के बीच हड़कंप मचाने वाला काम किया गया। कहीं ऐसा इसलिए तो नहीं हुआ कि चालक दल के सदस्य पर्याप्त प्रशिक्षित नहीं थे? जांच में इस पहलू को इसलिए अवश्य शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि विमान के अंदर हवा के दबाव की अनदेखी किसी मानवीय भूल का परिणाम नहीं नजर आती।

जांच इसकी भी होनी चाहिए कि इस भूल को तत्काल सुधारा क्यों नहीं जा सका और घबराए विमान यात्रियों को समय रहते सही सूचना क्यों नहीं दी गई? हालांकि उक्त घटना की जांच के साथ ही उड़ान संबंधी सभी पहलुओं की समीक्षा के भी आदेश दिए गए हैैं, लेकिन इसी के साथ यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि सुरक्षा ऑडिट के नाम पर खानापूरी न होने पाए।

नागर विमानन मंत्रालय को इसका आभास होना चाहिए कि यदि विमान यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए जरूरी सजगता का परिचय दिया जा रहा होता तो फिर वैसा हादसा होना ही नहीं चाहिए था जैसा गत दिवस हुआ। एक ऐसे समय जब विमान से यात्रा करने वालों की संख्या बढ़ रही है तब सुरक्षा में चूक की खबरें रह-रह कर आना शुभ संकेत नहीं। यह ठीक नहीं कि कभी विमानों के आपस में टकराने से बचने की खबर आती है तो कभी चालक दल के सदस्यों की लापरवाही की। बहुत दिन नहीं हुए जब हवा में इंजन फेल होने की खबरों ने विमान यात्रियों को चिंता से भर दिया था।

हवाई यात्रा संबंधी सुरक्षा उपायों से तनिक भी समझौता न हो सके, इसे हर हाल में सुनिश्चित किया जाना चाहिए। ऐसा तभी होे सकेगा जब इसकी सतत निगरानी की जाएगी कि खर्च घटाने और मुनाफा बढ़ाने के फेर में कहीं सुरक्षा उपायों की अनदेखी तो नहीं हो रही है? हवाई यात्रा किफायती होने का यह मतलब हर्गिज नहीं होना चाहिए कि वह जोखिम भरी हो जाए।