कांग्रेस की बहुचर्चित भारत जोड़ो यात्रा जिस तरह चौथे दिन ही विवादों से घिर गई, उसके लिए पार्टी के नेता अपने अलावा अन्य किसी को दोष नहीं दे सकते। समझना कठिन है कि राहुल गांधी को नफरती भाषण देने के लिए कुख्यात पादरी जार्ज पोन्नैया से मुलाकात करने की क्या जरूरत थी? कांग्रेस को भाजपा पर अपना गुस्सा निकालने के बजाय अपने उन नेताओं से जवाब-तलाब करना चाहिए, जिन्होंने राहुल गांधी की जार्ज पोन्नैया से मुलाकात कराना आवश्यक समझा।

तमिलनाडु के जिन भी कांग्रेसी नेताओं ने यह आवश्यकता समझी कि राहुल गांधी को जार्ज पोन्नैया से भेंट करना चाहिए, वास्तव में वही उस विवाद के लिए जिम्मेदार हैं, जो इस मुलाकात से उठ खड़ा हुआ और जिस पर भाजपा कांग्रेस को घेर रही है। कांग्रेस के नेता इस विवाद से पल्ला झाड़कर भाजपा को कोस सकते हैं और वे कोस भी रहे हैं, लेकिन आखिर वे इस तथ्य की अनदेखी कैसे कर सकते हैं कि जार्ज पोन्नैया नफरत भरे बयान देने के लिए कुख्यात रहे हैं और इसके लिए उनकी एक बार गिरफ्तारी भी हो चुकी है। जार्ज पोन्नैया न केवल भारत माता को बीमारी बांटने वाला बता चुके हैं, बल्कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां भी कर चुके हैं।

आखिर नफरती बोल बोलने वाले किसी व्यक्ति से मुलाकात कर राहुल गांधी या फिर उनके सहयोगी यह दावा कैसे कर सकते हैं कि उनकी भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य कथित तौर पर नफरत के माहौल से लड़ना है? सवाल यह भी है कि जो धर्मगुरु केवल अपने ही आराध्य को असली ईश्वर मानता हो और शेष अन्य को खारिज करता हो, वह भारत को जोड़ने और एकता का संदेश देने में सहायक कैसे हो सकता है?

कहीं ऐसा तो नहीं कि राहुल गांधी की जार्ज पोन्नैया से मुलाकात इसीलिए कराई गई, क्योंकि वह भाजपा नेताओं के खिलाफ जहरीले बयान देते रहे हैं? इस अंदेशे का कारण यह है कि भारत जोड़ो यात्रा से सामाजिक कार्यकर्ता अथवा बुद्धिजीवियों के रूप में अनेक ऐसे लोग जुड़े हैं, जो भाजपा और विशेष रूप से मोदी के अंध विरोधी के तौर पर अपनी पहचान रखते हैं। इसमें संदेह है कि ऐसे लोगों को अपनाकर कांग्रेस उस उद्देश्य की पूर्ति कर सकती है, जिसे वह बार-बार रेखांकित कर रही है।

कांग्रेस भले ही यह दावा करे कि भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य कोई राजनीतिक लाभ लेना नहीं, लेकिन सच यही है कि नेताओं की ऐसी यात्राओं का मकसद राजनीतिक जमीन मजबूत करना ही होता है। यदि राहुल गांधी यह मकसद हासिल करना चाहते हैं तो फिर उन्हें जार्ज पोन्नैया जैसे लोगों से दूरी बनाना होगा, क्योंकि यह वैसा कोई प्रकरण नहीं, जिसमें कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक सभा-सम्मेलन में किसी बड़े नेता से हाथ मिलाने अथवा उसके साथ फोटो खिंचाने में सफल हो जाता है।