स्टिंग ऑपरेशन के जरिए नारद न्यूज पोर्टल के सीईओ मैथ्यू सैमुअल ने बंगाल में भूचाल ला दिया था। इस मामले में सीबीआइ की जांच जारी है। अब एक और मैथ्यू की गिरफ्तारी के बाद बंगाल के कई प्रभावशालियों के लिए खतरे की घंटी बज गई है। इनका पूरा नाम जीबू डी मैथ्यू है। मुर्शिदाबाद में बांग्लादेश की सीमा पर तैनात बीएसएफ कमांडेंट के पद पर कार्यरत थे। 31 जनवरी को सीबीआइ ने केरल में मैथ्यू को गिरफ्तार किया। इनके खिलाफ आरोप है कि बांग्लादेश में गाय तस्करी करने वालों से इनके संबंध हैं और नियमित रूप से रुपये लेकर उन्हें तस्करी में मदद कर रहे थे। जीबू डी मैथ्यू से पूछताछ में सीबीआइ को मुर्शिदाबाद के इनामुल हक नामक एक व्यवसायी के बारे में जानकारी मिली। हक पर गाय तस्करी का आरोप है। इसके बाद सीबीआइ की टीम केरल से कोलकाता पहुंची और यहां एक पांच सितारा होटल से हक को गिरफ्तार करने के बाद कोच्चि ले गई। कोलकाता में हक के आवास पर भी छापेमारी की है जिसमें कई अहम दस्तावेज हाथ लगे हैं।

कहा जा रहा है कि सीबीआइ को मैथ्यू ने पूछताछ में बंगाल के कुछ प्रभावशाली नेताओं व पुलिस अधिकारियों के नाम बताए हैं। गाय तस्करी से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा उन लोगों तक पहुंचता था। गाय तस्करों के साथ स्थानीय पुलिस, प्रशासन, बीएसएफ से लेकर नेताओं के भी संबंध होने के आरोप लगते रहे हैं। कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद भी पुलिस प्रशासन को सीमापार होने वाली गाय तस्करी को लेकर सतर्क किया था। सीबीआइ के मुताबिक मैथ्यू व हक की गिरफ्तारी के बाद गाय तस्करी से जुड़ी कई अहम जानकारी हाथ लग सकती है। ऐसे में अब सवाल उठने लगा है कि गाय तस्करी के इस मामले में भी कई प्रभावशालियों के नाम क्या सामने आएंगे? क्या इन गिरफ्तारियों से गाय तस्कर गिरोहों पर अंकुश लग सकेगा? इस मुद्दे पर जब तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इस विषय के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि केंद्र सरकार हर वक्त अपनी एजेंसियों का इस्तेमाल कर तृणमूल को बदनाम करने की कोशिश करती रहती है। 

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]