कॉमेडियन जाकिर खान द्वारा बिहार के लोगों का मजाक बनाया जाना दर्शाता है कि आत्ममुग्ध अभिजात्य वर्ग आज भी बिहार के बारे में कैसी नकारात्मक धारणा रखता है। कोई मजाक महज मजाक नहीं होता, उसकी तह में संबंधित व्यक्ति की सोच छिपी रहती है। जाहिर खान के मजाक से भी यही परिलक्षित होता है कि उन्हें बिहारियों की ह्यमजदूरों जैसीह्ण शक्ल-सूरत पसंद नहीं। कॉमेडियन का काम लोगों को गुदगुदाकर हंसाना होता है जबकि इस कॉमेडियन ने बिहारवासियों का दिल दुखा दिया। एक्ट्रेस नीतू चंद्रा ने इस गुस्ताखी के लिए जाकिर खान को तगड़ी फटकार पिलाई यद्यपि इस बारे में जाकिर खान की सफाई या खेद का अब तक इंतजार है। उन्हें इसमें विलंब नहीं करना चाहिए। बिहार की असाधारण मेधा, श्रमशक्ति, सामाजिक सद्भाव, साहित्य प्रेम और कृषि उत्पादकता जैसी विशिष्टताएं नजरअंदाज करके इसका मजाक बनाया जाना नई बात नहीं है। कुछ साल पहले हरियाणा के एक नेता ने चुनाव सभा में युवा मतदाताओं को आकृष्ट करने के लिए कहा था कि उनकी सरकार बनने पर वह बिहार से लड़कियां लाकर हरियाणा के लड़कों की शादी करवाएंगे। जाहिर है कि राज्य के बारे में बाहरी लोगों को तमाम भ्रम हैं। इसमें कोई शक नहीं कि पिछले कुछ दशकों में बिहार ने बहुत थपेड़े खाए। राज्य की छवि तार-तार हुई। मेधा पलायन बढ़ा। अपराध बढ़े। शिक्षा और चिकित्सा प्रणाली ध्वस्त हुई। सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार ने रिकॉर्ड बनाया। इसके बावजूद राज्य की कई विशिष्टताएं आज भी इसे बाकी राज्यों से अलग और बेहतर बनाती हैं। राज्य के युवाओं की डंका का मेधा पूरी दुनिया में बजता है। सिविल सेवा व अन्य प्रतिष्ठित सेवाओं में राज्य का दबदबा बरकरार है। किसानों का प्रदर्शन शानदार है। यह देश का इकलौता राज्य है जिसने शराब, दहेज और बाल विवाह के खिलाफ मोर्चा खोला। पिछले कुछ वर्षो में इस राज्य ने नारी सशक्तीकरण की दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। इसके बावजूद जाकिर खान जैसे लोग अर्थहीन बातों के लिए राज्य का मजाक उड़ाते हैं। बिहार अपनी मेधा और मेहनत के बल पर इसका जवाब देने में सक्षम है यद्यपि बेहतर होगा कि जाकिर खान खुद अपनी गलती स्वीकार करें और खुले मन से बिहारवासियों के प्रति खेद जताएं।

[ स्थानीय संपादकीय: बिहार ]