गृह मंत्रालय की ओर से सभी राज्य सरकारों को यह निर्देश देना आवश्यक था कि वे लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराने के साथ ही हर तरह के धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों पर भी रोक लगाएं। इस निर्देश की जरूरत इसलिए बढ़ गई थी, क्योंकि एक तो देश के कुछ हिस्सों में लॉकडाउन के प्रति अपेक्षित गंभीरता का परिचय नहीं दिया जा रहा है और दूसरे, आने वाले दिनों में बैसाखी, रंगोली बिहू, विशु, पोइला बैसाख, संक्राति आदि पर्व हैं। वास्तव में राज्य सरकारों और उनके प्रशासन से ज्यादा आम लोगों को यह समझने की जरूरत है कि जब तक कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा टल नहीं जाता तब तक ऐसा कुछ नहीं किया जाना चाहिए जिससे किसी भी तरह का जमावड़ा लगे। कोई भी इससे अनभिज्ञ नहीं हो सकता कि दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तब्लीगी जमात के जमावड़े ने देश को कैसी मुश्किल में डाल दिया है?

यदि कोरोना के खिलाफ लड़ाई कठिन हो गई है तो इस जमात के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण ही। नि:संदेह धार्मिक, सांस्कृतिक पर्वों और उनसे जुड़े किस्म-किस्म के आयोजनों की अपनी एक महत्ता है, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा जिस तरह सिर उठाए हुए है उसे देखते हुए समझदारी इसी में है कि ये आयोजन घर पर ही रहकर प्रतीकात्मक तरीके से मनाए जाएं। नि:संदेह ग्रामीण इलाकों में फसल कटाई का काम तो करना ही होगा, लेकिन पूरी सावधानी के साथ।

चूंकि हर तरह का जमावड़ा कोरोना वायरस के संक्रमण को बेलगाम करने वाला साबित हो सकता है इसलिए यह भी जरूरी है कि राजनीतिक और सामाजिक समूह भी यह समझें कि उनकी ओर से ऐसा कुछ न किया जाए जिससे कहीं पर भी भीड़ जुटे। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कही-कहीं लॉकडाउन से प्रभावित लोगों की मदद के नाम पर ऐसे समूहों की ओर से जाने-अनजाने भीड़ जुटाने वाले काम कर दिए जा रहे हैं। इसी तरह कई स्थानों पर सब्जी मंडियों अथवा राशन की दुकानों में भीड़ जुट जा रही है। 

यह सब खतरे को बढ़ाने और शासन-प्रशासन के साथ उन करोड़ों लोगों की मेहनत पर पानी फेरने वाला भी है जो लॉकडाउन का पालन करने में लगे हुए हैं। यदि एक के बाद एक राज्य लॉकडाउन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं तो इसकी एक वजह यह भी है कि लोग सोशल डिस्टेंसिंग यानी सार्वजनिक मेल-मिलाप से परहेज को लेकर उतनी गंभीरता नहीं दिखा रहे जितनी आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है। इससे इन्कार नहीं कि लॉकडाउन ने कई समस्याओं को जन्म दे दिया है, लेकिन बंदिशों से बचने की कोई भी कोशिश मुसीबतों को और बढ़ाने का ही काम करेगी।