मिथिलांचल की विश्वव्यापी पहचान मखाना को बिहार का ब्रांड बनाने की तैयारी सरकार की एक सराहनीय पहल है। मुजफ्फरपुर की लीची भी इसमें शामिल है। बिहार की आर्थिक समृद्धि कृषि से ही है, इसलिए इस पर फोकस करना भी जरूरी है। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प तभी पूरा होगा, जब कृषि व्यवस्था सुदृढ़ होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कृषि को हमेशा प्राथमिकता में रखा है। सरकार ने इसके लिए रोड मैप बनाया, यह सराहनीय पहल रही। इसका फायदा भी हो रहा है, पर सरकार के एक अति महत्वाकांक्षी संकल्प को मुकाम तभी मिलेगा, जब ब्यूरोक्रेसी भी उतनी ही चिंता करे। इस पर ध्यान देने की जरूरत है, ताकि किसानों तक योजनाओं का लाभ समय पर पहुंचे। सरकार ने अच्छी योजना तो बना दी, पर वह किसानों तक समय पर नहीं पहुंचे तो का वर्षा जब कृषि सुखाने वाली कहावत ही चरितार्थ होगी। इसलिए ब्यूरोक्रेसी को ज्यादा तेज दौड़ना होगा। बिहार में कृषि की अपार संभावनाएं हैं। धान, गेहूं, मक्का से लेकर आम, लीची, केला, मखाना आदि की प्रसिद्धि दुनिया भर में है।

कृषि उत्पादों को बेहतर बाजार कैसे मिले इस दिशा में भी काम करने की जरूरत है। किसानों को जब बाजार मिलेगा तो आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होने के साथ-साथ आज की पीढ़ी भी इस ओर आकर्षित होगी। ताड़ के रस से पहले जहां ताड़ी बनाई जाती थी, अब नीरा का निर्माण होने लगा है। ताड़ से गुड़, पेड़े बनाए जा रहे हैं। सरकार ने ऐसे प्रयोगों से परंपरागत और गैर परंपरागत कृषि के बीच बेहतर समन्वय भी स्थापित करने की कोशिश की है। अब इन्हें ब्रांड बिहार के रूप में देश-दुनिया में प्रसिद्धि दिलाने की पहल हो रही है। उत्तर बिहार से लेकर कोसी तक कृषि का एक बड़ा कॉरीडोर है। इस पूरे क्षेत्र को एग्रीकल्चर टूरिस्ट स्पॉट के रूप में विकसित किया जा सकता है, जहां से गुजरने वाले खेतों में लगी फसलों के बीच सुकून के दो पल गुजारना चाहेंगे। जरूरत सिर्फ इस बात की है कि सरकार की सोच को जमीनी स्तर पर उसी तरह कार्यान्वित किया जाए तो बिहार के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।

[ स्थानीय संपादकीय: बिहार ]