चुनाव बाद हिंसा का दौर जारी है। लेकिन सियासी दल इसे रोकने को लेकर उदासीन हैं। ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि सत्ताधारी दल या फिर विपक्ष हिंसा रोकने को लेकर गंभीर हैं लेकिन उनकी ओर से इस संबंध में बयान जारी किया गया है। माकपा राज्य सचिव व विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्रा ने आम जनता से अपील की है कि वह किसी अफवाह में नहीं पड़े। इसके बावजूद कोई हिंसा का अंजाम देता है तो एकजुट होकर उसका प्रतिरोध करें। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने भी चुनाव बाद हिंसा रोकने के लिए आम जनता से अपील की है। सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस की ओर से इस तरह की कोई अपील नहीं की गई है। उल्टे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने तक कोई भी हिंसा की घटना घटती है तो उसकी जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है। अर्थात मुख्यमंत्री की मानें तो चुनाव संपन्न होने तक ङ्क्षहसा रोकने के लिए जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है। तृणमूल कांग्रेस सांसद व नंदीग्राम से उम्मीदवार शुभेंदू अधिकारी ने कहा है कि इस बार चुनाव बाद रवींद्र संगीत नहीं बजेगा। मुख्यमंत्री ने भी कहा है कि वह इंच-इंच का हिसाब लेंगी। क्या सत्तारूढ़ दल की ओर से इस तरह का बयान हिंसा के लिए जिम्मेदार नहीं है? गुरुवार को अंतिम चरण का मतदान संपन्न होने के बाद कूचबिहार के नाटाबाड़ी में माकपा उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट के घर को लक्ष्य कर गोली चलाई गयी। गनीमत यह रही कि गोली किसी को लगी नहीं लेकिन इससे इलाके में तनाव है। माकपा एजेंट के घर को लक्ष्य कर गोली चलाने का आरोप तृणमूल कांग्रेस समर्थकों पर लगा है। पूर्व मेदिनीपुुर के खेजूरी में एक तृणमूल समर्थक को गोली मार दी गई है। शनिवार को बारूइपुर में एक माकपा समर्थक के घर में आग लगा दी गई। माकपा ने तृणमूल पर हिंसक घटनाओं को अंजाम देने का आरोप लगाया है। चुनाव खत्म होने के बाद बद्र्धमान के खंडघोष में एक माकपा एजेंट समेत दो लोगों की हिंसा में जान गई है। नंदीग्राम में भाजपा के पोलिंग एजेंट पर जानलेवा हमला किया गया। हुगली के रिसड़ा में तृणमूल समर्थक एक व्यक्ति के घर के समक्ष बमबाजी हुई। महानगर समेत उत्तर 24 परगना और आस-पास के जिलों में विपक्षी दलों के पोलिंग एजेंटों पर हमले हुए और उन्हें धमकी देने का आरोप तृणमूल कांग्रेस पर लगा है। हिंसा की यह सब घटना अंतिम चरण के मतदान खत्म होने के बाद की है। जाहिर है सत्तारूढ़ दल के अपने कर्मी और समर्थकों पर नियंत्रण नहीं होने के कारण हिंसा की घटनाएं बढ़ रही है। पिछली बार ममता ने बदला नहीं बदलाव का नारा दिया था और शांति के लिए रवींद्र संगीत बजाने का आह्वïन किया था। लेकिन इस बार वह मौन है जिस पर सवाल उठना लाजिमी है।

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]