अपने शासन के कार्यकाल के नौ वर्ष पूरे होने पर यदि मोदी सरकार अपनी उपलब्धियों को जोर-शोर से रेखांकित कर रही है तो इसीलिए कि उसने इस अवधि में बहुत कुछ कर दिखाया है। इन नौ वर्षों में विकास की विभिन्न योजनाओं ने जहां देश की तस्वीर बदलने का काम किया है, वहीं जनकल्याणकारी योजनाओं ने जनता को लाभान्वित करने के साथ अपनी छाप भी छोड़ी है।

विपक्षी दल और मोदी सरकार की रीति-नीति से असहमत लोग कुछ भी दावा करें, इससे कोई इन्कार नहीं कर सकता कि उसने अपनी योजनाओं का क्रियान्वयन कहीं बेहतर तरीके से किया है। कुछ योजनाओं ने तो मिसाल कायम की है, जैसे कि उज्ज्वला गैस सिलेंडर और जन-धन योजना। इन योजनाओं ने करोड़ों लोगों के जीवन को बदलने का काम किया है।

इन नौ वर्षों में देश में आधारभूत ढांचे का भी उल्लेखनीय और कुछ क्षेत्रों में तो अभूतपूर्व विकास हुआ है। देश के प्रत्येक हिस्से में आधारभूत ढांचे का जिस तेजी से विकास होता दिख रहा है, उसकी कोई भी अनदेखी नहीं कर सकता। सड़क, पुल, हवाई अड्डे, रेल मार्ग आदि जिस द्रुत गति से निर्मित हो रहे हैं, वे देश की तस्वीर बदलने का काम करने के साथ लोगों के दैनिक जीवन को सुगम भी बना रहे हैं। ये निर्माण कार्य आत्मनिर्भर भारत की कहानी भी बयान कर रहे हैं और लोगों में यह भरोसा भी जगा रहे हैं कि भारत विकसित देश बनने की राह पर है।

बीते नौ वर्ष में मोदी सरकार ने ऐसे कुछ कार्य किए हैं, जो एक समय अकल्पनीय माने जाते थे, जैसे कि जम्मू-कश्मीर के विभाजनकारी और अलगाववाद को बल देने वाले अनुच्छेद 370 का खात्मा। यह मोदी सरकार के सबसे साहसिक फैसलों में से एक था। मोदी सरकार जहां घरेलू मोर्चे पर बहुत कुछ अर्जित करने में सफल रही, वहीं अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भी उसने अपनी नीतियों से छाप छोड़ी। आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि एक उभरते हुए ऐसे सक्षम देश की है, जो विश्व की समस्याओं के समाधान में सहायक है। यही कारण है कि प्रत्येक देश भारत से संपर्क-संवाद का इच्छुक है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की महत्ता इसलिए भी बढ़ी है, क्योंकि वह विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। विशेष बात यह है कि वह सबसे तेज आर्थिक विकास वाला देश है और विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। अपनी तमाम उपलब्धियों के बाद भी मोदी सरकार को कुछ मोर्चों पर अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता है, जैसे कि देश को न्यायिक सुधारों की अभी भी प्रतीक्षा है। निःसंदेह प्रशासनिक सुधार भी अपेक्षित हैं। प्रशासनिक सुधारों को इसलिए सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि देश की जनता को रोजमर्रा के भ्रष्टाचार से राहत नहीं मिली है। इसी तरह मोदी सरकार को बेरोजगारी के मोर्चे पर भी मुस्तैदी दिखाने की आवश्यकता है।